कन्हैया कुमार: देशभक्ति से सराबोर एक 'देशद्रोही' की जमानत का फैसला

जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कन्हैया को जस्टिस प्रतिभा रानी ने छह महीने के लिए सशर्त जमानत दी है.
कन्हैया को 12 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर से गिरफ्तार किया था. कन्हैया की न्यायिक हिरासत बुधवार को खत्म हो रही थी. इससे पहले जमानत को लेकर उनके वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया था.
9 फरवरी को जेएनयू में कथित तौर पर देशद्रोही नारा लगाने के आरोप में कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जेएनयू छात्रसंघ समेत कई संगठन लगातार कन्हैया की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं. छात्रों की मांग है कि कन्हैया के ऊपर लगे राजद्रोह के आरोप को हटाया जाए.

कन्हैया के अलावा इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया है. दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत है. इन छात्रों पर से राजद्रोह का आरोप हटाने की मांग को लेकर जेएनयू के छात्रों ने बुधवार को जंतर मंतर से मंडी हाउस तक मार्च किया.
29 फरवरी
को जमानत पर हुई बहस के बाद
कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित
रखा था. कन्हैया
की गिरफ्तारी 12 फरवरी
को जेएनयू कैंपस से भारत विरोधी
नारे लगाए जाने के आऱोप में
हुई थी.
कन्हैया को फिलहाल छह महीने की अंतरिम ज़मानत मिली है जिसे उनके चाल-चलन के आधार पर छह महीने बाद स्थायी जमानत के रूप में बदला जा सकता है. छह महीने बाद कन्हैया को फिर से ज़मानत के लिए अपील करनी होगी.
जस्टिस प्रतिभा रानी ने फैसले की शुरुआत मनोज कुमार अभिनीत फिल्म उपकार के गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले' से की है
कोर्ट
के इस फैसले के बाद बिहार स्थित
कन्हैया के परिवार में भी खुशी
का माहौल था. कन्हैया
की मां ने इसे राहत भरा फैसला
बताया.
कन्हैया
के पिता जयशंकर सिंह ने एक
टीवी चैनल से बातचीत मेें कहा,
"मुझे
संविधान और न्यायपालिका पर
पूरा भरोसा है. मेरा
बेटा ग़लत नहीं है. यह
सब संघ और भाजपा के लोगों की
साजिश है.कन्हैया
का कैरियर ख़राब करने की.
कन्हैया
वामपंथी विचारधारा का है,
गरीब है और
बिहार से आता है. इसीलिए
उसे तबाह करने के लिए यह साजिश
रची गई.'
कन्हैया
के छोटे भाई प्रिंस के मुताबिक
इस फैसले से देश के कानून पर
उनका भरोसा मजबूत हुआ है.
इस देश का
संविधान बहुत ताकतवर है और
कुछ फर्जी वीडियो दिखाकर या
खबर चलाकर किसी को देशद्रोही
साबित नही किया जा सकता.
कन्हैया को ज़मानत का फैसला काफी फिल्मी रंग में रंगा हुआ है. जस्टिस प्रतिभा रानी ने फैसले की शुरुआत मनोज कुमार अभिनीत फिल्म उपकार के गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले' से की है.

कन्हैया की जमानत का फैसला
उनके फैैसले के कुछ मुख्य बिंदु
- जस्टिस प्रतिभा रानी ने फैसले की शुरुआत में सवाल किया है कि जेएनयू छात्रों, शिक्षकों और प्रशासन को इस सवाल का जवाब ढूंढना चाहिए कि इस वसंत जेएनयू में शांति का रंग क्यों नहीं बिखरा.
- जज ने अपने फैसले में नौ फरवरी को हुए कार्यक्रम के दौरान लगे 30 नारों की बात कही. अपने फैसले में उन्होंने सात नारों का ज़िक्र भी किया है.
- फैसले के मुताबिक सरकार ने अब तक इस बात पर कोई ऐतराज नहीं जताया है कि कन्हैया वीडियो फ़ुटेज में नारे लगाते नहीं दिखते. हालांकि सरकारी वकील ने उनके ख़िलाफ़ गवाहों का ज़िक्र किया है.
- अदालत के निर्णय में हार्दिक पटेल पर लगे राजद्रोह के केस का जिक्र भी किया गया है और गुजरात हाईकोर्ट की टिप्पणी को भी शामिल किया गया है.
- फैसले के मुताबिक छात्र संघ अध्यक्ष होने के नाते कैंपस में होने वाले किसी भी राष्ट्रविरोधी कार्यक्रम की ज़िम्मेदारी अध्यक्ष कन्हैया की मानी जाएगी. वह जिस अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात कर रहे हैं, वह भारत की सीमा की रक्षा करने वाले सैनिकों की वजह से है.
- यह मामला देशविरोधी नारों का है, जिससे राष्ट्रीय एकता को ख़तरा उत्पन्न होता है. नारे लगाने वाले ये भूल जाते हैं कि वो यूनिवर्सिटी के सुरक्षित वातावरण में इसलिए सांस ले पा रहे हैं क्योंकि भारतीय सेना दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में है, जहां ऑक्सीजन भी इतनी मुश्किल से मिलती है कि अफजल गुरु और मकबूल बट के पोस्टर सीने से लगाकर नारे लगाने वाले एक घंटे भी न रह पाएं.
- फैसले के मुताबिक जेएनयू में लगे नारों से 'उन शहीदों के परिवारों का भरोसा टूट सकता हैं, जिनके शव तिरंगों में लिपटे हुए घर पहुंचते हैं.'
- कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी अनुच्छेद 19 (2) के तहत बंदिशें लगाई गई हैं. नारों में जिन भावनाओं का जिक्र है उन पर छात्रों को विचार करने की जरूरत है. जेएनयू शिक्षकों को भी चाहिए कि वो छात्रों को सही रास्ते पर लाएं.
- जज ने कन्हैया के परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए जमानत की रकम कम रखी है. हालांकि अदालत ने कहा कि कन्हैया को यह लिखकर देना होगा कि वह ऐसी किसी गतिविधि में भाग नहीं लेंगे, जिसे राष्ट्रविरोधी कहा जाए. साथ ही उन्हें कैंपस में किसी भी राष्ट्रविरोधी गतिविधि पर नियंत्रण की कोशिश करनी होगी.
- अदालत ने कन्हैया को 10 हजार रुपए के मुचलके पर अंतरिम जमानत देने का ऐलान किया.