कावेरी जल विवाद: कर्नाटक चुनाव खत्म होते ही केंद्र सरकार ने SC को सौंपा ड्राफ्ट

कई हफ्तों की देरी के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने सोमवार को कावेरी प्रबंधन योजना का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया. इस पर कोर्ट विचार करेगी. शीर्ष अदालत को ये ड्राफ्ट केंद्रीय जल संसाधन सचिव ने सौंपा. कावेरी प्रबंधन योजना का ये ड्राफ्ट शीर्ष कोर्ट को सौंपने के लिए जल संसाधन सचिव व्यक्तिगत रूप अदालत में मौजूद थे.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा अदालत इसकी समीक्षा करेगी और ये तय करेगी कि ड्राफ्ट शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप है या नहीं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रभूड़ वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट इस 'योजना की शुद्धता' पर नहीं जाएगा, बल्कि ये देखेगा कि ये अदालती आदेश के मुताबिक है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने ड्राफ्ट की कॉपी इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुदुचेरी को भी दी, ताकि वो भी जांच कर सकें कि ये पहले के आदेश के अनुसार है या नहीं. शीर्ष अदालत अब इस मामले में 16 मई को सुनवाई करेगी.
बता दें कि कावेरी बोर्ड के गठन को लेकर हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्नाटक चुनाव में व्यस्त होने की वजह से इसका ड्राफ्ट पहले तैयार नहीं किया जा सका था. इसके लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा था. हालांकि शीर्ष कोर्ट ने इस केंद्र के इस अनुरोध को ठुकरा दिया था.
जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट को चुनाव से कोई मतलब नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि सरकार ड्राफ्ट तैयार कर कोर्ट को दे क्योंकि इसमें राज्यों का कोई रोल नहीं है.
इसके अलावा कोर्ट केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी और कहा था कि कावेरी को लेकर योजना न बनाकर वो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है. बता दें कि कावेरी जल विवाद पर फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को चार राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी में जल बंटवारे के लिए योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था.
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई से पहले जल संसाधन मंत्रालय के सचिव को कावेरी प्रबंधन योजना के ड्राफ्ट के साथ कोर्ट में पेश होकर यह बताने का आदेश दिया था कि सरकार तमिलनाडु और कर्नाटक समेत चार राज्यों में पानी का बंटवारा कैसे करेगी.
जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ वाली बेंच ने कहा, "हम दोबारा फिर इसी मुद्दे पर नहीं आना चाहते. एक बार जब जजमेंट दे दिया गया है तो इसे लागू किया जाना चाहिए.”
बता दें कि फरवरी के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी को कम कर दिया था. कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी फीट पानी जबकि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी फीट पानी अतिरिक्त देने का आदेश दिया था.
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First published: 14 May 2018, 17:10 IST