पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू

ओडिशा के पुरी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के बीच विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आज से शुरू हो चुकी है. ये रथयात्रा आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है. रथयात्रा की शुरुआत के मौके पर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के जरिए देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं.
On the occasion of Rath Yatra, my warmest greetings to you all. May Lord Jagannath continue to shower his blessings on everyone.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2016
उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ की कृपा हम सब पर बनी रहे. भगवान जन्नाथ के आशीर्वाद से गांव, किसान का विकास हो और देश नई ऊंचाई पर पहुंचे.
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी रथयात्रा के मौके पर लोगों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि रथ यात्रा के इस खुशी और शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई। जय जगन्नाथ!
Heartfelt greetings on this joyous & most auspicious occasion of #RathaJatra. Jai Jagannath! pic.twitter.com/bb7ouz0Ovp
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) July 5, 2016
पुरी में रथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं. रथ यात्रा की सुरक्षा में पुलिस के आला अधिकारियों के अलावा तकरीबन साढ़े सात हजार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है.
पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है. ये मंदिर 800 वर्ष से अधिक प्राचीन है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, जगन्नाथ रूप में विराजित है. यहां उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा की जाती है.
10वें दिन होगी रथों की वापसी
पुरी रथ यात्रा के लिए बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं. रथ यात्रा के दौरान बलभद्र जी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ के रथ को रस्सी के सहारे हजारों श्रद्धालुओं द्वारा खींचा जाता है.
इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तु का प्रयोग नहीं होता. ये रथ नीम की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों से बनाए जाते हैं. रथों के लिए लकड़ियों का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ होता है.
जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा पुरी नगर से शुरू होकर गुजरते हुए गुंडीचा मंदिर पहुंचती है. यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा सात दिनों के लिए विश्राम करते हैं. गुंडीचा मंदिर (गुंडीचा बाड़ी) में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आड़प-दर्शन कहा जाता है. ये भगवान की मौसी का घर है.
आषाढ़ महीने के दसवें दिन सभी रथ फिर से मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं. रथों की वापसी की इस यात्रा की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहते हैं.
My Sand art on Lord #Jagannath #RathaJatra at PuriBeach in Odisha. Happy #RathYatra pic.twitter.com/jRs4lcqDGe
— Sudarsan Pattnaik (@sudarsansand) July 6, 2016
इसके अलावा प्रख्यात कलाकार सुदर्शन पटनायक ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान ओडिशा में पुरी तट पर रेत से 100 रथ बनाकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया.
Eagerly waiting for the official announcement from LimcaBook of world records #100SandChariots #RathaJatra pic.twitter.com/PXvCMKCpiO
— Sudarsan Pattnaik (@sudarsansand) July 5, 2016
अहमदाबाद में भी रथ यात्रा
इस बीच गुजरात के अहमदाबाद शहर में भी भगवान जगन्नाथ की 139वीं रथयात्रा शुरू हो गई है. इस मौके पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह परिवार के साथ जगन्नाथ मंदिर पहुंचे. अमित शाह ने श्रद्धालुओं के साथ यहां पूजा-अर्चना की. गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल भी इसमें शामिल हुईं.
भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यह रथ यात्रा अहमदाबाद के जमालपुर इलाके में स्थित 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई. रथयात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 18,000 से ज्यादा कर्मचारी तैनात किए गए हैं.
अहमदाबाद में पिछले 139 साल से इस धार्मिक रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश से शामिल होने के लिए लाखों लोग आते हैं.
First published: 6 July 2016, 14:39 IST