पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर और संघीय व्यवस्था पर चोट के लिए ममता ने घेरा मोदी सरकार को

तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर और पाकिस्तान का मुद्दा तबाही का रूप लेता जा रहा है जिसे नरेंद्र मोदी सरकार नियंत्रित करने में विफल रही है.
ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय (नाबन्ना) में कहा कि केन्द्र की कश्मीर नीति विफल हो चुकी है. उसका राजनयिक प्रबंधन बेहद बुरी दशा में है. केन्द्र की नीतियों की विफलता के चलते पाकिस्तान का मुद्दा बद से बदतर होता जा रहा है.
बनर्जी ने दावा किया कि अंतर्राज्यीय परिषद की बैठक में भी कश्मीर और पाकिस्तान के मुद्दे से न निपट पाने की केन्द्र की विफलता को लेकर चर्चा हुई थी. ममता के मुतबिक पाकिस्तान और कश्मीर के हालात पर नियंत्रण न कर पाने में एनएसजी के स्तर से यह राजनयिक विफलता है.
ममता ने यह भी कहा कि मैंने कभी भी केन्द्र के बारे में कुछ नहीं कहा. अब आपातकाल जैसे हालात हो गए हैं. उन्होंने सवाल किया कि नरेन्द्र मोदी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के घर शादी के मौके पर अकस्मात पाकिस्तान क्यों गए और उन्हें सरप्राइज विजिट का तोहफा क्यों दिया. कई चीजें इसी के बाद हुई हैं.
बनर्जी ने यह भी जोड़ा कि देश में हालात आपातकाल से भी बदतर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार संघीय ढांचे को जमींदोज़ करने का प्रयास कर रही है और संविधान का उल्लंघन कर रही है. ऐसे में हर दल को ऐसे प्रयासों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए संयुक्त रूप से आगे आना चाहिए.
मुख्यमंत्री के अनुसार तमिलनाडु ने भी विभिन्न मुद्दों पर अपने कड़े विचार रखे हैं. हम देश के सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ मिलकर और विचार-विमर्श करेंगे. उन्होंने एकबार फिर दोहराया कि वह महसूस करती हैं कि देश की संघीय व्यवस्था को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. आश्चर्य जताया कि क्या भारत में राष्ट्रपति प्रणाली वाली सरकार है?
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार की राज्यों के साथ भेदभाव वाली कार्रवाई के खिलाफ राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की गुहार लगाई जाएगी. लोकतांत्रिक व्यवस्था को रोकने के लिए यह खतरनाक संकेत है.
तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि केन्द्र सरकार यह भी चाहती है कि राज्यों की कानून-व्यवस्था पर उसका नियंत्रण रहे जो राज्य का विषय है. मीडिया से लेकर शिक्षा तक हर चीज को केन्द्र सरकार अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है.
वे एक चुनी हुई सरकार को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास कर रहे हैं. वे राज्य सरकार को अपने नियंत्रण में लेना चाहते हैं. बनर्जी यह महसूस करती हैं कि केन्द्र सरकार एकपक्षीय और मनमाने तरीके से संघीय ढांचे को नेस्तानाबूद कर रही है. उन्होंने कहा कि हम केन्द्र सरकार की दखलंदाजी के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन भी करेंगे. हम पीड़ित किया जा रहा है. यदि राज्य मजबूत होंगे तो केन्द्र स्वतः ही सशक्त हो जाएगा.
बनर्जी ने गौ-रक्षक परियोजना को लेकर भी भाजपा को घेरे में लिया और कहा कि गौ-रक्षा के नाम पर देश में हिंसक माहौल बन रहा है.
तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा हाईटेक पब्लिसिटी ओरियन्टेड पार्टी है. सोशल मीडिया पर भाषण, कमेन्ट्स से आप वोट तो हासिल कर सकते हैं, पर इससे क्या राष्ट्र का निर्माण होगा? बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि महंगाई बढ़ रही है. कमजोर वर्ग के लिए विकास परियोजनाएं निष्क्रिय हालत में हैं. जीडीपी के आंकड़ों को लेकर भी विरोधाभास है.
बनर्जी ने सवाल किया कि केन्द्र सरकार कई सारे कर, ड्यूटीज और सेश के रूप में काफी पैसा वसूलती है. उसके पास काफी पैसा है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए राज्य कहां से धन लाएंगे. बनर्जी ने चेतावनी दी कि यदि केन्द्र अपना रवैया ठीक नहीं करता है तो हमलोग सड़कों पर प्रदर्शन भी करेंगे.
केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर १८ अगस्त के ट्वीट ( इसी दिन नेताजी की वायु दुर्घटना में मौत हो जाने की बात कही जाती है) पर उन्होंने सवाल किया कि क्या यह गलती थी या सुनियोजित चाल?
ममता ने कहा कि यदि राज्य अपने धन को केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में खर्च करेंगे तो ऐसे में फिर योजनाओं के नाम केन्द्र में सत्तारूढ़ नेताओं के नाम पर क्यों रखे जाएं.
प्रधानमंत्री ग्राम स्मारक योजना का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र ने प्रधानमंत्री के नाम पर योजनाओं का नामकरण किया है लेकिन राज्यों को उसके लिए धन का काफी बड़ा हिस्सा देना पड़ रहा है. ऐसे में परिणामस्वरूप राज्यों का अहित हो रहा है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र के इस तरह के कदम के पीछे उसका खुद का घमंड है. केन्द्र एकपक्षीय व्यवहार कर रहा है. केन्द्र का मकसद राज्यों द्वारा किए जा रहे खर्च पर नजर रखना है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र की मंशा है कि राज्यों के खर्च करने के बजट पर उसका नियंत्रण हो. वे राज्य की कोष की निगरानी के लिए एक व्यक्ति की नियुक्ति करना चाहते है. मैं पूछना चाहती हूं कि वे राज्य के खजाने पर नजर क्यों रखना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि मैंने इस तरह की घमंडी सरकार कभी नहीं देखी. क्या वे राज्य सरकारों को अलग रखना चाहते है? यह संविधान की भावना के खिलाफ है. केन्द्र राज्यों को अपनी बराबरी से नहीं आंक रहा है. हमने इसके पहले इतनी भेदभाव लाली स्थिति का कभी सामना नहीं किया.
वे वास्तव में राज्यों एवं लोकतंत्र को भयभीत कर रहे हैं. यह कुछ और नहीं, सहयोगी संघवाद के नाम पर राज्य़ों के विचारों का दमन किया जा रहा है. यह तो तानाशाही है.
24 अप्रेल, 2015 को पश्चिम बंगाल सरकार ने केन्द्र को लिखा था कि केन्द्र की योजनाओं वाली सिफारिशों पर कार्रवाई से पहले राज्यों से भी विचार-विमर्श किया जाए. पहले यह कमेटी भाजपा के प्रभुत्व वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों की थी. इस पर उप्र ने केन्द्र की सिफारिशों के खिलाफ कड़ा पत्र लिखा है. बाद में मप्र के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई.
तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ने मोदी की विदेश यात्राओं को लेकर भी खिल्ली उड़ाई. कहा कि विदेशी मामलों के नाम पर विदेश यात्राएं की जा रही हैं.
बनर्जी यह मानकर चलती हैं कि वित्त, रेल, रक्षा और विदेश मामलों के अलावा केन्द्र के न्यायाधिकार में और कोई विषय नहीं होना चाहिए.
First published: 22 August 2016, 7:32 IST