'चार साल में शिक्षा, कृषि, रोजगार हर मुद्दे पर नाकाम रही मोदी सरकार'

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के समय रैलियों को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी युवाओं को रोजगार दिलाने की बात करते थे. इसके अलावा वह शिक्षा, कृषि आदि क्षेत्रों में बड़े सुधार की बात करते थे. वो कहते थे कि हमें 60 महीने का मौका दीजिए और हम सरकार में आने के बाद सारी चीजें बदल देंगे. लेकिन आज लगभग चार साल बीत जाने के बाद सरकार की तरफ से आम जनता को वह राहत नहीं मिली जिसकी उम्मीद उसने की थी.
इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार पर हमला बोला ह़ै. उन्होंने कहा कि चार साल तक केन्द्र की सत्ता में काबिज रहने के बाद भी भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार शिक्षा, रोजगार और कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में नाकाम रही है.
पी चिदंबरम ने संसद में पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा पर जारी प्रतिकिया में कहा कि मोदी सरकार के चार साल सत्ता में रहने के बावजूद कृषि क्षेत्र के हालात में बदतर बने हुये हैं.
2. BJP should not distort and deflect the debate on jobs. BJP should tell us how many regular jobs were created in the last three years.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 29, 2018
प्रतिक्रिया में समीक्षा के पैराग्राफ का हवाला देते उन्होंने कहा है कि सरकार की शौचालय, जनधन खाता, एलपीजी कनेक्शन और गांवों के विद्युतीकरण जैसे प्रमुख कार्यक्रम भी कोई ठोस परिणाम हासिल नहीं कर पाये हैं. उन्होंने कहा कि समीक्षा में राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे को संवेदनशील बताया गया है. इससे राजकोषीय मजबूती में धीमी प्रगति का संकेत मिलता है. इससे सरकार के आर्थिक स्थिति मजबूत होने का दावा झूठा साबित होता है.
पी चिदंबरम ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर तंज करते हुए कहा कि यदि पकौड़ा बेचना भी नौकरी है तो फिर भीख मांगने को भी रोजगार के एक विकल्प के तौर पर देखना चाहिए. एक बाद एक किए गए कई ट्वीट्स में चिदंबरम ने कहा कि सरकार नौकरियों के अवसर पैदा करने के मामले में पूरी तरह से फेल है और उसे कुछ सूझ नहीं रहा है.
1. A young man who sells pakodas is honourably self-employed, but poor and aspirational. Ask him and he will tell you that he aspires for a regular and secure job. I empathise with him.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 29, 2018
चिदंबरम ने ट्वीट कर चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहने के समीक्षा में किये गये दावे पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि 6 प्रतिशत रही है, इसे देखते हुये लगता है कि साल की समाप्ति पर आर्थिक वृद्धि 6 से 6.5 प्रतिशत रह सकती है. इसके अधिक रहने के समर्थन में कोई तथ्य समीक्षा में नहीं दिये गये हैं.
First published: 30 January 2018, 15:56 IST