मोदी सरकार ने रोहित वेमुला के मौत की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार किया

मोदी सरकार ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के शोध छात्र रोहित वेमुला की मौत पर एक रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्र ने कहा कि संबंधित फाइल अभी 'विचारार्थ' है, इसलिए रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है.
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने समाचार एजेंसी पीटीआई की ओर से दाखिल एक आरटीआई के जवाब में कहा, "संबंधित फाइल अभी विचारार्थ है, इसलिए इस वक्त रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है."
बहरहाल, सरकार की ओर से दिए गए जवाब में इस बात का जिक्र नहीं है कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के किस प्रावधान के तहत यह सूचना नहीं दी गई. जबकि आरटीआई अधिनियम के जिस संबंधित प्रावधान के तहत सूचना रोकी जा रही है सरकारी विभाग को उसका जिक्र करना होता है.
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में हुए कार्यक्रमों की जांच के लिए एचआरडी मंत्रालय ने फरवरी में रिटायर्ड जस्टिस अशोक कुमार रूपनवाल के नेतृत्व में जांच आयोग गठित किया था.
आयोग को यूनिवर्सिटी में छात्रों की मौजूदा शिकायत निवारण तंत्र की समीक्षा करने और सुधारों का सुझाव देने का भी सौंपा गया था. आयोग को तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था. पैनल ने एचआरडी मंत्रालय को यह रिपोर्ट सौंप दी है.
हालिया मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि आयोग ने वेमुला के दलित होने पर सवाल उठाया है और उसकी आत्महत्या के लिए व्यक्तिगत कारणों को जिम्मेदार ठहराया है. रिपोर्ट के अनुसार वेमुला की मौत के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को किसी भी तरह के आरोप से मुक्त करार दिया गया है.
गौरतलब है कि रोहित वेमुला की मौत पर पूरे देश में जबरदस्त राजनीतिक हंगामा मचा था और तत्कालीन एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी सहित श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को इस संबंध में काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी.