जानिए कौन हैं जस्टिस केएम जोसेफ, जिनकी SC में नियुक्ति को लेकर मोदी सरकार झेल रही फजीहत

10 जनवरी 2018 को CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच जजों की कोलेजियम ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने का सुझाव दिया था. लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने सिर्फ वरिष्ठ वकील इंदू मल्होत्रा के जज बनने को अपनी मंजूरी दी. जिसे लेकर सरकार पर सवाल उठने लगे हैं.
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने सरकार पर दखलंदाजी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एक की नियुक्ति कर दी गई और दूसरे की नियुक्ति न करके सरकार ने न्यायपालिका के कामकाज में दखलंदाजी की है. विकास ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है और इसे सरकार के सामने बहुत ही दृढ़ता से उठाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे सरकार के दृष्टिकोण पर बड़ा संदेह है, ऐसा कोई कारण नहीं है कि जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी देने में समस्या हो.
वहीं पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि क्या मोदी सरकार कानून से ऊपर है? उन्होंने ट्वीट किया, “जैसा कि कानून कहता है, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के मामले में कोलेजियम की सिफारिश बाध्यकारी और अंतिम होता है. क्या मोदी सरकार कानून से ऊपर है?” उन्होंने एक और ट्वीट किया, “जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति क्यों रोकी गई? क्या उनका राज्य या धर्म या फिर उत्तराखंड मामले में दिया गया उनका फैसला उनकी राह में रोड़ा है?"
What is holding up Justice K M Joseph's appointment? His State or his religion or his judgement in the Uttarakhand case?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 26, 2018
पूर्व सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने भी कई ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा, “मैं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से गुजारिश करूंगी कि वो इंदु मल्होत्रा को फिलहाल पद की शपथ न दिलाएं, जब तक कि जस्टिस केएम जोसेफ का नाम सरकार क्लियर ना कर दे. न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा किसी भी कीमत पर होनी चाहिए.” हालांकि न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा जयसिंह की इस मांग को ठुकरा दिया है.
Supreme Court refused to stay the appointment of Indu Malhotra as a Supreme Court Judge, when senior advocate Indira Jaising pleaded for a stay, on the ground that Centre has stalled the appointment of Uttarakhand Chief Justice KM Joseph. pic.twitter.com/OQE2gjphvE
— ANI (@ANI) April 26, 2018
गौरतलब है कि जस्टिस केएम जोसेफ वही जज हैं जिन्होंने साल 2016 में उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार के दौरान राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को अमान्य घोषित कर दिया था. जस्टिस जोसेफ ने अपने फैसले में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने के केंद्र सरकार के निर्णय को गलत करार दिया था. जिसके बाद से ही केंद्र की भाजपा सरकार उनसे नाराज बताई जा रही थी. इससे पहले आंध्र प्रदेश में जस्टिस केएम जोसेफ के ट्रांसफर के लिए कोलेजियम की सिफारिश को सरकार ने रद्द कर दिया था.
जस्टिस जोसेफ की फाइल अब भी लॉ मिनिस्ट्री के पास है. सरकार को लगता है कि न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम की सिफारिश कर कालेजियम ने वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का सम्मान नहीं किया है. सरकार का कहना है कि जस्टिस जोसेफ के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की राह में वरिष्ठता सबसे बड़ा रोड़ा है. वह हाईकोर्ट के 669 न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 42वें स्थान पर हैं.
देश भर में उच्च न्यायालयों में सेवारत चीफ जस्टिस और जजों की वरिष्ठता सूची में जस्टिस जोसफ काफी नीचे आते हैं. यानी लगभग तीन दर्जन जज उनसे वरिष्ठ हैं. साथ ही सूत्रों का कहना है कि क्षेत्रीय या राज्यवार संतुलन को देखते हुए भी सरकार ने जस्टिस जोसफ को सुप्रीम कोर्ट न भेजने का फैसला किया है.
हालांकि इसके लिए कोई निश्चित आधार नहीं है और न ही क्षेत्रीय या मजहबी संतुलन साधने के आधार का कोई लिखित नियम है. पहले भी केंद्र की सत्ता में काबिज सरकारें अपनी मर्ज़ी से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपने लोगों की नियुक्ति करती रही हैं. कई बार सीनियरिटी को ताख पर रख हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस और उच्च न्यायालयों से पदोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट तक जजों को नियुक्त किया गया है.
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सीनियर जजों की कॉलेजियम ने 10 जनवरी को दोनों के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी लेकिन सरकार द्वारा फाइल दबा देने के बाद कोलेजियम ने दोबारा इन दोनों नामों को फरवरी के पहले हफ्ते में कानून मंत्रालय के पास भेजा था. इसके बाद केंद्र सरकार ने सिर्फ इंदु मल्होत्रा की फाइल को ही खुफिया ब्यूरो के पास भेजा था. फिर वहां से क्लियरेंस मिलने के बाद सरकार ने इंदु मल्होत्रा के नाम का ऐलान सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कर दिया.
इसके साथ ही बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त होने वाली इंदू मल्होत्रा देश की पहली महिला होंगी. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को इंदू मल्होत्रा को नियुक्त किए जाने के सरकार के फैसले के बारे में पत्र लिखेंगे.
First published: 26 April 2018, 15:27 IST