अलग-थलग पाक: भारत, भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने किया बहिष्कार

- पाकिस्तान के समर्थन से उरी के सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में बढ़ रहे तनाव के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर महीने में इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन में नहीं जाने का फैसला लिया है.
- भारत का इस्लामाबाद के सार्क सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला पाकिस्तान को वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर अलग थलग करने की रणनीति का हिस्सा है. 15-16 अक्टूबर को गोवा में होने वाले बिम्सटेक सम्मेलन में भी पाकिस्तान को छोड़कर सार्क के अन्य देश हिस्सा ले रहे हैं.
उरी में हुए आतंकी हमले का असर भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों पर दिखने लगा है. पाकिस्तान से आए आतंकियों द्वारा उरी के सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में बढ़ रहे तनाव के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर महीने में इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन में नहीं जाने का फैसला लिया है.
भारत ने कहा कि 'एक देश' ने ऐसा माहौल बना दिया है जो सम्मेलन के लिए उपयुक्त नहीं है. विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'भारत ने सार्क के मौजूदा अध्यक्ष देश नेपाल को बता दिया है कि क्षेत्र में सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों में बढ़ोतरी और सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में एक देश की तरफ से होने वाले हस्तक्षेप ने ऐसा माहौल बना दिया है जिसमें इस्लामाबाद में होने वाली सार्क की 19वीं बैठक नहीं हो सकती.'
बयान में कहा गया है, 'मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत सरकार इस्लामाबाद के प्रस्तावित सम्मेलन में भाग नहीं ले सकता.'
भारत के इस इनकार के बाद यह साफ हो गया है कि इस्लामाबाद में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन यानी सार्क का सम्मेलन नहीं होगा क्योंकि सार्क के नियमों के मुताबिक अगर कोई एक सदस्य देश भी सम्मेलन में भाग नहीं लेता है तो सम्मेलन का आयोजन नहीं किया जा सकता.
कूटनीति से जवाब
उरी हमले को लेकर भारत में पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई. पाकिस्तान के साथ युद्ध तक की मांग होने लगी. सरकार के शुरुआती बयान के बाद लगने लगा था कि भारत पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने का आदेश दे सकती हैं.
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने इस मामले में दूसरा रास्ता चुना. सरकार ने पाकिस्तान को वैश्विक और क्षेत्रीय मंच पर अलग-थलग किए जाने का तात्कालिक फैसला लिया.
मोदी सरकार को इस दिशा में बढ़त भी मिली जब अमेरिका ने उरी हमले के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाई. सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य देशों मसलन रूस और फ्रांस ने इस हमले को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की. वहीं पाकिस्तान का सामरिक सहयोगी चीन भी उरी हमले के बाद पाकिस्तान के पक्ष में नजर नहीं आया.
संयुक्त राष्ट्र महाधिवेशन में बोलते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने यूएन से कश्मीर में दखल दिए जाने की मांग की लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की इस मांग को सिरे से दरकिनार कर दिया. संयुक्त राष्ट्र के किसी भी सदस्य देश से पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिला.
वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान अब दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय मंच पर भी अलग होता जा रहा है. भारत के इस्लामाबाद सार्क सम्मेलन का बहिष्कार किए जाने के फैसले के बाद सार्क के तीन अन्य सदस्य देशों ने भी इस्लामाबाद नहीं जाने का फैसला लिया है.
बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान ने भारत के रुख का समर्थन करते हुए इस्लामाबाद के सार्क सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला लिया है. खबर है कि बांग्लादेश और भूटान ने इस संबंध में आधिकारिक पत्र भेज दिया है.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी हाल ही में नई दिल्ली आए थे और इस दौरान उन्होंने भारत से अपनी आतंरिक सुरक्षा के हवाले से हथियारों की मांग की थी. वहीं बांग्लादेश भी आंतरिक मामलों में पाकिस्तान की आतंकी नीति का भुक्तभोगी रहा है. बांग्लादेश ने अपने बयान में कह है कि एक देश उनके आंतरिक मामले में लगातार दखल दे रहा है.
दूसरी तरफ भारत ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक बार फिर से पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल बासित को बुलाकर उरी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने का सबूत देते हुए कार्रवाई की मांग की थी. पाकिस्तान का कहना रहा है कि उरी हमले में भारत पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा रहा है.सार्क सम्मेलन में भारत के शामिल नहीं होने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के ट्वीट से जाना कि भारत इस्लामाबाद में होने वाले 19वें सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा.
अलग पड़ता पाकिस्तान
पंजाब के पठानकोट के एयरबेस पर हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द हो गई थी. भारत ने तब अपनी तरफ से पहल की थी लेकिन जम्मू-कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में हुई मौत के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन को भड़काना शुरू किया.
इतना ही नहीं पाकिस्तान ने बुरहान वानी को शहीद का दर्जा तक दे डाला. इसके बाद उरी में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मसले को उछालकर दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश की.
लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान की सरकार के हर दावे की पोल खोलते हुए यह साफ कर दिया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को उसका ख्वाब देखना बंद कर देना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री के भाषण के बाद केंद्र सरकार ने सिंधु जल समझौते को रदद् किए जाने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए बैठक बुलाई और अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया गया. समिति को यह विचार करने के लिए कहा गया कि भारत किस तरह से सिंधु समझौते का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ कर सकता है. इसमें भारत के हिस्से के पानी का अधिकतम इस्तेमाल करने का भी विकल्प है.
समझौते के मुताबिक भारत पाकिस्तान के नियंत्रण वाली तीन नदियों का 20 फीसदी पानी इस्तेमाल कर सकता है. हालांकि भारत अभी तक 10 फीसदी से भी कम पानी का इस्तेमाल करता रहा है.
माना जा रहा है कि भारत अब समझौते को तोड़े बिना भी पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है. अगर भारत ने अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया तो पाकिस्तान की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा असर पड़ेगा.
First published: 28 September 2016, 12:36 IST