भारत से अपनी झोली में क्या-क्या लेकर जाएंगे ओली ?

भारत दौरे पर आये नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने शुक्रवार को भारतीय कंपनियों से नेपाल में निवेश करने और नेपाल को 2030 तक 'हिमालयन नेशन' बनाने के प्रयासों को मदद करने की अपील की. वामपंथी गठबंधन सरकार के मुखिया ओली ने विदेश में अपनी पहली यात्रा पर बुनियादी ढांचा, पर्यटन, बिजली, कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों के लिए अवसर प्रदान करने की बात कही है. नेपाल के पीएम ने कहा भारतीय निवेशकों ने पूरे विश्व में निवेश किया है, इसलिए अगले दरवाजे नेपाल के लिए क्यों नहीं?",
भारत-नेपाल बिजनेस फोरम की बैठक में उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ समेत तीन प्रमुख भारतीय उद्योग मंडलों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा, नेपाल में एक मजबूत सरकार है. ओली ने कहा, इस सरकार के प्रधानमंत्री की पहली प्राथमिकता लोगों की जीवन शैली में बदलाव लाना है.
पीएम ओली का वामपंथी गठबंधन पिछले साल दो चरणों में हुए मतदान के बाद सत्ता में आया था. 2016 के बाद से नेपाल के प्रधानमंत्री की यह दूसरी यात्रा है. उनकी पिछली यात्रा के दौरान नए संविधान संशोधन को लेकर वह भारत के दबाव में देखे गए. जिसे नेपाल के ऊपरी पहाड़ी वर्गों के पक्ष में माना गया था, जो आबादी का 49% हिस्सा था.
पिछले कई समय से भारत और चीन के संबंधों में कड़वाहट देखी जा रही थी. 2016 में भारत यात्रा के तुरंत बाद ओली चीन गए थे, ताकि भारत से ऊर्जा आपूर्ति की कमी की भरपाई के लिए चीन से बात की जा सके. अगस्त 2016 में उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था. कहा गया कि यह भारत के साथ संबंधों में सही भूमिका नहीं निभा सके.
इस बार ओली की भारत यात्रा के पीछे एक शानदार चुनावी जीत है. नेपाल के निचले सदन में उनके गठबंधन के पास तीन-चौथाई बहुमत है. वामपंथी गठबंधन भी प्रांतीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में एक हालिया इंटरव्यू में, ओली ने कहा था कि उनकी सरकार भारत और चीन दोनों के साथ अच्छे संबंधों को पैदा बनाएगी.
एक रिपोर्ट की माने तो नेपाली पीएम ओली का कहना है कि नेपाल जितनी चाहे उतनी बिजली परियोजनाओं के निर्माण की ज़िम्मेदारी चीन को सौंप दे, भारत को इसमें कोई ऐतराज़ नहीं है.
First published: 7 April 2018, 12:35 IST