निर्भया गैंगरेप: सुप्रीम कोर्ट की स्तब्ध कर देने वाली 5 टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2012 को हुए दिल्ली गैंगरेप के मामले में चारों दोषियों को फ़ांसी की सजा बरकरार रखी है. सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण ने शुक्रवार दोपहर तकरीबन ढाई बजे ये फ़ैसला सुनाया. देश ही नहीं दुनिया भर को हिला देने वाले इस मामले में फ़ैसला सुनाते वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने स्तब्ध कर देने वाली कई टिप्पणियां कीं.
429 पेज के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने धनंजय चटर्जी के मामले का जिक्र किया. बलात्कार के मामले में आख़िरी बार फांसी 2004 में पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी को दी गई थी. कोलकाता में एक 15 साल की स्कूली छात्रा के साथ रेप और उसकी हत्या के मुजरिम धनंजय चटर्जी को 14 अगस्त 2004 को सुबह साढ़े चार बजे फांसी पर लटका दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के अंत में स्वामी विवेकानंद के कहे एक वाक्य को शामिल किया. विवेकानंद ने कहा था कि किसी भी राष्ट्र के विकास का सबसे बड़ा पैमाना महिलाओं के प्रति उसका बर्ताव होता है. साथ ही फैसले के आख़िर में कहा गया कि लैंगिक अन्याय से जंग कानून पर सख्ती से अमल, जनता की संवेदनशीलता और महिलाओं के खिलाफ अपराध से मुक़ाबला करने के लिए आगे बढ़कर क़दम उठाने से लड़ी और जीती जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट की हिला देने वाली पांच अहम टिप्पणियों पर एक नज़र:

1. निर्भया के साथ गैंगरेप की वारदात एक बर्बर और राक्षसी घटना थी. ये सदमे की सुनामी थी.
2. जब किसी अपराध को निहायत बर्बर तरीके से अंजाम दिया जाता है और समाज की सामूहिक चेतना को धक्का लगता है, तो अदालतों को मौत की सज़ा ही देनी चाहिए, लिहाजा इस मामले में रियायत नहीं दी जा सकती.
3. ऐसे अपराध में मौत की सज़ा के अलावा कोई और कसौटी नहीं हो सकती है. उम्र, बच्चे और बूढ़े मां-बाप कसौटी नहीं.
4. दोषियों ने जो अपराध किया है वो अलग दुनिया की कहानी जैसा है.
5. हिंसा और सेक्स की भूख की वजह से ये जघन्य जुर्म हुआ.
