नोटबंदी को अमर्त्य सेन ने बताया निरंकुश फ़ैसला

भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम को एक निरंकुश फैसला बताया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोट को बैन करना पूरी तरह से निरंकुश है.
अंग्रेजी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा, "लोगों को अचानक बताया गया कि उनकी करेंसी अब काम की नहीं है, उसका इस्तेमाल वो अब नहीं कर सकते हैं. यह फैसला बिलकुल अधिनायकवाद जैसा है और सरकार इसे जायज ठहरा रही है."
उन्होंने कहा कि 8 नवंबर को नरेंद्र मोदी सरकार की इस घोषणा ने एक ही झटके में सभी भारतीय नागरिकों को कुटिल करार दिया है, लेकिन, वास्तविकता में ऐसा नहीं है.
सेन ने कहा कि एक अधिनायकवादी सरकार ही लोगों को संकट झेलने के लिए छोड़ सकती है. लाखों निर्दोष लोग अपना ही पैसा नहीं ले पा रहे हैं. उन्हें अपना खुद का पैसा पाने के लिए संघर्ष, असुविधा और अपमान का सामना करना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि बीते 8 नवंबर की रात 8 बजे देश के नाम एक संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट पर आधी रात के बाद से बैन लगा दिया था. इसके बाद से पूरे देश में लोग कैश के लिए संघर्ष कर रहे हैं.