नोटबंदी: संसदीय समिति ने पूछे उर्जित पटेल से 10 सवाल, प्रधानमंत्री से जवाब मांगा जा सकता है

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल, वित्त सचिव अशोक लवासा और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास को नोटबंदी पर सफाई देने के लिए बुलाने के बाद अब कांग्रेस नेता केवी थॉमस की अध्यक्षता वाली पब्लिक एकांउट कमेटी अगर इन अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट नहीं होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देने के लिए बुला सकती है.
पब्लिक एकाउंट कमेटी ने इन तीन अधिकारियों को नोटबंदी का फैसला लेने के पीछे कारण, उसका अर्थव्यवस्था पर असर, नोटबंदी के दौरान आरबीआई के नियमों में बार-बार किए गए बदलाव आदि से संबंधित अनेक सवालों की एक पूरी सूची भेजकर उनके जवाब और ब्योरा मांगा है. अब इन तीन अधिकारियों को पब्लिक एकाउंट कमेटी के सामने 20 जनवरी को हाज़िर होना है. अगर समिति उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएसी के सामने बुलाने का निर्णय लिया जा सकता है.
तलब हो सकते हैं मोदी
कांग्रेस नेता थॉमस ने पीटीआई को बताया कि हमें अभी तक उन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं जो हमने उन्हें भेजे हैं. वे उन सवालों के जवाब 20 जनवरी की मीटिंग के पहले देंगे. उनके जवाबों पर विस्तार से चर्चा होगी. जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री को भी सवालों का जवाब देने के लिए बुलाया जाएगा.
थॉमस ने बताया कि पीएसी पैनल इस मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बुला सकती है और इसका निर्णय 20 जनवरी की मीटिंग में जो परिस्थिति बनेगी, उसके आधार पर किया जाएगा. थॉमस ने कहा, हम प्रधानमंत्री को भी नोटबंदी पर स्पष्टीकरण के लिए बुला सकते हैं अगर पीएसी के सदस्य एक राय से यह फैसला लेते हैं.
ग़लत फ़ैसला?
थॉमस ने आगे यह भी कहा कि उनकी प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई थी और उन्होंने यह आश्वासन दिया था कि 50 दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी. थॉमस ने कहा कि ऐसा लगता नहीं कि स्थिति सामान्य हो गई है. थॉमस यहीं नहीं रुके. उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए देश को गुमराह कर रहे हैं. वे अपने गलत निर्णय को सही ठहराने का प्रयास कर रहे हैं.
2000 रुपये का नोट लाने के सरकार के निर्णय में संवेदनशीलता का अभाव रहा है. एक ऐसे देश में जहां अब भी कॉल ड्राप की समस्या आम है और टेलिकॉम सुविधाएं सुगम और समान नहीं हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री कैसे यह उम्मीद कर सकते हैं कि ई-ट्रांज़ैक्शन मोबाइल से होना आसान होगा. क्या हमारे पास इसके लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध है?
इसके पहले शनिवार को संसदीय समिति ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को एक विस्तृत प्रश्नावली भेजकर यह पूछा था कि क्यों न उन पर अपनी शक्तियों के दुरुपयोग के आरोप में अभियोग चलाकर उन्हें हटा दिया जाए? समिति ने पटेल से यह भी पूछा है कि कितनी करेंसी डिमोनेटाइज की गई थी और कितनी वापस सर्कुलेशन में आ गई है.
पीएसी के सवाल
1- केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सदन में यह कहा है कि डिमोनेटाइजेशन का निर्णय आरबीआई और उसके बोर्ड ने लिया था और सरकार ने सिर्फ उसकी सलाह का पालन मात्र किया. क्या आप इससे सहमत हैं ?
2- ठीक-ठीक वे कौन से कारण थे जिनके कारण आरबीआई ने 500 और 1000 के नोटों को अवैध ठहराने का निर्णय लिया?
3- आरबीआई का अपना अनुमान बताता है कि जाली नोटों की मात्रा 500 करोड़ से अधिक नहीं है. भारत में नकदी की मात्रा जीडीपी के अनुपात में 12 प्रतिशत है, जो कि जापान के 18 फीसदी और स्विटजरलैंड के 13 फीसदी से कम है. भारत में बड़े नोटों का अनुपात कुल मुद्रा का 86 प्रतिशत था, लेकिन चीन में यह अनुपात 90 प्रतिशत और अमरीका में 81 प्रतिशत है. फिर ऐसा क्या संकट था कि आरबीआई ने अचानक से डिमोनेटाइजेशन का निर्णय ले लिया.
4- आरबीआई बोर्ड को आठ नवंबर की आपातकालीन बैठक के लिए नोटिस कब भेजा था? इस मीटिंग में कौन-कौन आया था? मीटिंग कितने देर चली? और इस मीटिंग का ब्योरा अर्थात मिनट्स कहां हैं?
5- कैबिनेट को डिमोनेटाइजेशन की सलाह देने के बाद आरबीआई ने कैबिनेट को जो अगला नोट भेजा था उसमें क्या आरबीआई ने स्पष्ट तौर पर बताया था कि इसकी पालना से 86 प्रतिशत मुद्रा अवैध हो जाएगी और इसमें कितनी लागत आएगी? आरबीआई ने मुद्रा के पुन: प्रवाह में आने के लिए कितने समय का अनुमान कैबिनेट को दिया था?
6- आरबीआई ने 8 नवंबर 2016 को सेक्शन 3 सी(वी) के अंतर्गत अधिसूचना में यह बंदिश लगाई थी कि लोग अपने बैंक अकाउंट से काउंटर पर एक दिन में 10 हजार रुपये और एक सप्ताह में 20 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते. इसी तरह की पाबंदी एटीएम से एक दिन कमें 2000 रुपये से अधिक नोट नहीं निकालने की लगाई गई थी. आरबीआई ने यह पाबंदी किस कानून के अंतर्गत और अपनी किस शक्ति के तहत लगाई थी. अगर ऐसा कोई कानून नहीं है तो क्यों न आपको अपनी शक्तियों के दुरुपयोग के आरोप में अभियोग चलाकर पद से हटा दिया जाए.
7- पिछले दो माह में आरबीआई के अपने नियमों को बार-बार क्यों बदलना पड़ा. कृपया उस अधिकारी का नाम बताएं जिसने यह आइडिया दिया था कि बैंक से पैसा निकालने के बाद लोगों के अंगूठे पर स्याही लगाई जाए. किसने शादी संबंधी पैसा निकालने वाली अधिसूचना का मसौदा तैयार किया? अगर यह सब आरबीआई ने नहीं बल्कि सरकार की ओर से किया गया तो क्या मान लिया जाए कि आरबीआई अब वित्त मंत्रालय का ही एक विभाग है.
8- ठीक-ठीक कितनी मुद्रा डिमोनेटाइज की गई थी और कुल कितनी मुद्रा वापस बैंकों में आ चुकी है? जब आरबीआई ने 8 नवंबर को सरकार को डिमोनेटाइजेशन की सलाह दी तो उसकी इस बारे में क्या सोच थी कि कितनी मुद्रा वापस नहीं आएगी?
9- आरबीआई ने आरटीआई के अंतर्गत इस बारे में सवाल का जवाब देने से इंकार क्यों किया और इंकार करते समय यह बेमतलब का तर्क क्यों दिया कि इससे आपको निजी नुकसान पहुंचने का डर है. आरबीआई इस संबंध में आरटीआई में मिले सवालों का जवाब क्यों नहीं दे रही है?
First published: 10 January 2017, 7:41 IST