मोदी सरकार की कोशिशों के बाद भी नहीं रुक रहे तीन तलाक़, साल भर में आए सैंकड़ों मामले

मोदी सरकार ने तीन तलाक़ खत्म करने के अपने वादे को पूरा करते हुए देश में तीन तलाक़ के खिलाफ एक अध्यादेश पारित किया. पिछले सत्रों से लटके इस बिल को इस साल सितंबर में कैबिनेट ने मुहर लगा दी. लेकिन हाल ही में आए आंकड़ों के मुताबिक़ तस्वीर कुछ और ही दिखती है. एक साथ तीन तलाक़ को सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी करार दिया था. लेकिन अभी तक देश में तीन तलाक़ खत्म नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से देशभर से तीन तलाक के 248 मामले सामने आए हैं. केंद्र ने बुधवार को इस मामले में लोकसभा में जानकारी दी.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी देश के विभिन्न हिस्सों से तीन तलाक के मामले सामने आए हैं.राज्यवार ब्योरा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है. प्रसाद, सुष्मिता देव के सवाल का लिखित जवाब दे रहे थे. सुष्मिता देव ने पूछा था कि क्या कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक की प्रथा जारी है. प्रसाद ने कहा, हां. मीडिया और कुछ दूसरी रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी 2017 से अब तक 477 मामले प्रकाश में आ चुके हैं. उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक मामले सामने आए हैं..
कानून मंत्री ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के मकसद से मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 लाया गया है जो फिलहाल राज्यसभा में लंबित है.
ये भी पढ़ें- बजट 2018: तीन तलाक के अलावा भी हैं महिलाओं की बुनियादी जरूरतें
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. पिछले 2 सत्रों से अटके इस बिल पर आज कैबिनेट ने मुहर लगा दी. मोदी सरकार की तरफ से तीन तलाक पर बिल पेश किया गया था. हालांकि कांग्रेस के साथ ही अन्य विपक्षी दलों ने इस पर विरोध दर्ज किया जिसके बाद इस बिल में संशोधन किया गया. लेकिन इस संशोधन के बाद भी ये बिल राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था. तीन तलाक बिल इससे पहले बजट सत्र और मॉनसून सत्र में पेश किया गया था, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था.
क्या है संशोधित तीन तलाक़ बिल
-संशोधन के बाद अब मजिस्ट्रेट को ये अधिकार है कि वो ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर आरोपी को जमानत दे सकता है.
- तीन तलाक़ के मामले में एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार केवल पीड़िता के परिजन और खून के रिश्तेदारों को ही है.
- तीन तलाक़ के मामले में अब मजिस्ट्रेट पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी को बचा सकता है.
-अगर किसी महिला को एक बार में तीन तलाक़ दिया जाता है तो वो मुआवजे की हकदार होगी.
First published: 13 December 2018, 10:24 IST