छत्तीसगढ़ पुलिस का दमन जारी, एक और पत्रकार को किया गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में दैनिक अखबार 'पत्रिका' के लिए काम करने वाले पत्रकार प्रभात सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मंगलवार को कोर्ट में पेशी के बाद प्रभात को जेल भेज दिया गया है.
पुलिस ने प्रभात पर आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. आरोप हैं कि प्रभात ने सोशल मीडिया ग्रुप पर बस्तर के आईजी एसआरपी कल्लूरी के खिलाफ अश्लील मैसेज लिखा है. इससे पहले भी उन पर फर्जी आधार कार्ड बनवाने के एक मामले में केस दर्ज हो चुका है.
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पुलिस ने सोमवार को दक्षिणी बस्तर स्थित दंतेवाड़ा कार्यालय से प्रभात को गिरफ्तार किया था.
छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला माओवाद प्रभावित क्षेत्र है. यहां पिछले कुछ सालों में आदिवासियों के हक में आवाज उठाने या उनसे संबंधित खबरें करने वाले लोग लगातार निशाने पर रहे हैं.
बस्तर छोड़ने के लिए मजबूर मालिनी
मालिनी सुब्रमण्यम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 300 किमी दूर माओवाद प्रभावित इलाके बस्तर में रहती थीं. उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के आश्वासन के बावजूद उनके परिवार को दबाव में और बेहद जल्दबाजी में मजबूरन शहर छोड़ना पड़ा.
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मालिनी ने इस दौरान न्यूज वेबसाइट स्क्रॉल के लिए कई ऐसी स्टोरियां की हैं जिसमें उन्होंने पुलिस पर बस्तर में कई फर्जी मुठभेड़ करने का आरोप लगाया हैं.
उन्होंने बस्तर पुलिस पर आरोप लगाया है कि पिछले पांच हफ्ते से पुलिस लगातार उन्हें व उनके परिवार को धमकियां दे रही थी. मालिनी ने कहा जब धमकियों से बात नहीं बनी तो पुलिस ने उन लोगों को निशाना बनाया जो मेरे लिए काम करते हैं या फिर उन्हें जिन्होंने रहने के लिए मुझे अपना घर किराये पर दिया है.
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उनके घर पर पिछले महीने सात फरवरी को सामाजिक एकता मंच से जुड़े कुछ लोगों ने हमला कर दिया था. उनके घर पर हमला करने वाले लोगों ने उन्हें नक्सल समर्थक करार दिया और उनसे बस्तर से चले जाने को कहा. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. हालांकि, इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
संतोष यादव-सोमारू नाग की रिहाई अब तक नहीं
संतोष यादव हिन्दी अखबार दैनिक नवभारत और दैनिक छत्तीसगढ़ के लिए लिखते रहे हैं जबकि सोमारू नाग राजस्थान पत्रिका के स्ट्रिंगर रहे हैं. इन्हें माओवाद का समर्थक होने के आरोप में पिछले साल क्रमश: जुलाई और सितंबर माह में गिरफ्तार किया गया था.
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पुलिस ने दोनों पत्रकारों के ऊपर हत्या, आपराधिक साजिश, हिंसा भड़काने के अलावा प्रतिबंधित माओवादी संगठन का हिस्सा होने का आरोप लगाया. इनपर छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम और यूएपीए की धाराओं के तहत भी आरोप है.इनकी रिहाई अब तक नहीं हो पाई है.