बिहार: भाजपा उपाध्यक्ष की हत्या से गरमाई सियासत

- भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बिशेश्वर की सरेआम हत्या के बाद बिहार की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. हत्या की इन वारदातों के बाद नीतीश कुमार के सुशासन के दावे पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
- मृत विशेश्वर वर्तमान में भाजपा के बड़े नेता थे लेकिन एक दशक पहले तक बिहार पुलिस ने उनके ऊपर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. कहा जा रहा है कि इलाके के एक अन्य बाहुबली शिवाजीत मिश्रा के साथनिजी रंजिश में के चलते उनकी हत्या हुई है.
गठबंधन सरकार में नीतीश कुमार को बार-बार झटके लग रहे हैं. करीब डेढ़ माह पहले जब वह अहम बैठक में घोषणा करने वाले थे तब दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या ने उनकी सरकार और शासन के दावे की पोल खोल कर रख दी.
इस बार भी ऐसा ही हुआ है. 12 फरवरी की शाम कुमार लॉ एंड ऑर्डर की समीक्षा बैठक कर बड़ी घोषणा करने वाले थे कि भोजपुर में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विशेश्वर ओझा की हत्या की खबर ने उन्हें चौंका दिया.
इंजीनियरों की हत्या पर नीतीश कुमार सार्वजनिक तौर पर दो दिनों तक बोलने से बचते रहे थे. उस घटना पर मौन साध कर काम चला लेने की स्थिति थी लेकिन विशेश्वर के मामले में वह वैसा नहीं कर सकते थे. उन्होंने कहा कि एसपी से लेकर थानेदार तक कान खोलकर सुन लें कि अगर अपराध कम नहीं कर सकते तो सभी नपेंगे.
दरभंगा घटनाकांड के बाद भी कुमार इसी तरह गुस्से में दिखे थे. उन्होंने कहा था कि अगर ग्राउंड पर रिजल्ट नहीं दिखा तो फिर कार्रवाई होगी. पुलिस का ग्राउंड पर रिजल्ट तो नहीं दिखा उल्टे दरभंगा कांड के बाद बिहार में अपराधियों की कारगुजारियां लगातार जारी हैं.
बिहार पुलिस ने विशेश्वर ओझा पर 25 हजार रुपये के इनाम की घोषणा की थी
ओझा की हत्या उसी शाहपुर इलाके के कारनामेपुर के पास सोनवर्षा बाजार में हुई, जिस इलाके से विशेश्वर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी थे. घटना के बाद तुरंत ही इलाके के लोगों ने कहा कि यह शिवाजीत मिश्र के बेटों का कारनामा है. शिवाजीत मिश्र कुख्यात रहे हैं और फिलहाल आरा जेल में बंद है. विशेश्वर ओझा और शिवाजीत मिश्र के बीच अदावत की लंबी कहानी है.
इनामी बदमाश थे ओझा
विशेश्वर आज भले ही भाजपा के जरिये राजनीतिक गलियारे में बड़ी हैसियत रखते हों लेकिन एक दशक पहले तक बिहार पुलिस ने उन पर 25 हजार रुपये का इनाम भी रखा था. अपराध के जरिये ही विशेश्वर ने राजनीति में कदम रखा था. 2006 में उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. तिहाड़ जेल में रखा गया था. बाद में आरा जेल आये और जेल से ही राजनीति की शुरुआत की.
पंचायत चुनाव से शुरुआत करते हुए उन्होंने अपने छोटे भाई की पत्नी मुन्नी देवी को भाजपा से चुनावी मैदान में उतार विधानसभा में खुद की राजनीतिक ताकत को आंका. मुन्नी देवी की जीत के बाद विशेश्वर ओझा भोजपुर के इलाके में डॉन सरीखे हो गये थे.
2015 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विशेश्वर को अपना उम्मीदवार बनाया लेकिव वह जीत नहीं पाए
2015 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुन्नी देवी की बजाय विशेश्वर को ही मैदान में उतार दिया था लेकिन राजद के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे प्रसिद्ध नेता शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी ने विशेश्वर को परास्त कर दिया था.
भोजपुर इलाका पिछले तीन सालों से तरह-तरह की घटनाओं को झेल रहा है. भोजपुर में ही कुछ साल पहले दलित महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी. पिछले साल दलित बच्चे को जिंदा जला दिये जाने की घटना हुई थी. अब यह माना जा रहा है कि भोजपुर में जब दो पुराने गैंगस्टर पुरानी लड़ाई को लेकर खूनी खेल पर उतर आये हैं तो गोलियों की तड़तड़ाहट सुनायी देगी.
भाजपा की चेतावनी
भाजपा ने अल्टीमेटम दिया है कि 72 घंटे में अगर अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होती हैतो पूरे राज्य में पार्टी आंदोलन करेगी. राज्य के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर कहते हैं कि पुलिस अपना काम कर रही है.
बिहार में आम जुबान में कहा जा रह है कि जब से लालू प्रसाद के साथ नीतीश कुमार आए है तब से आपराधिक घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है. एक खेमा यह भी कह रहा है कि घटनाएं तो पहले भी हो रही थी लेकिन भाजपा के साथ होने की वजह से मामला दबा रह जाता था.
दरभंगा के बाद बिहार के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग तरीके की बड़ी आपराधिक घटनाएं एक के बाद एक कर घटी हैं और सबमें सामान्य बात यही रही है कि अपराधियों ने इसे सरेआम अंजाम दिया.
राघोपुर में एक धाकड़ नेता बृजवासी सिंह के हत्या के मामले ने राजनीतिक गलियारे में गरमाहट पैदा कर दी. बृजवासी सिंह राघोपुर के नेता हैं जो लालू प्रसाद यादव का गढ़ रहा है. लालू प्रसाद यादव के परिवार से बृजवासी की पुरानी राजनीतिक अदावत भी रही थी.
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर कहते हैं कि आंकड़ों के जाल में जाने पर मालूम होगा कि अपराध की घटनाओं में वृद्धि नहीं हुई है. बिहार में यह सिलसिला कोई दरभंगा कांड के बाद या नीतीश कुमार द्वारा इस बार सत्ता संभालने के बाद नहीं बढ़ी है.
बिहार में अपराध पिछले कई सालों से इसी दर से रहा है बस नया यह है कि अपराधियों में सत्ता का भय कमा है और इसके पीछे राजनीति को दोष देेने की बजाय पुलिस सिस्टम को समझना होगा जो पुराने ढर्रे पर चल इन नये अपराधियों से निपटना चाहती है.
ज्ञानेश्वर कहते हैं कि डर बस इसी बात का है कि अगर अभी ही सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो सभी छोटे छुटभैये भी अपने दरबे से निकलकर अपराध करना शुरू करेंगे. भाजपा को राजनीतिक मौका मिला है. इसलिए वह हर छोटी घटना को तूल दे रही है और हर घटना के बाद जंगलराज-2 की बात कह रही है.
इसके जवाब में राजद के नेता अभी खुलकर सामने नहीं आ रहे और जदयू की ओर से जो नेता बोल रहे हैं वह इसे कानून और व्यवस्था की समस्या बताकर सरकार का बचाव कर रहे हैं.
First published: 14 February 2016, 10:40 IST