शिवसेना में पारिवारिक विवाद: बाल ठाकरे के बड़े बेटे जयदेव ने कहा ऐश्वर्य उनका बेटा नहीं

शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के बड़े पुत्र जयदेव ठाकरे ने संपत्ति विवाद में बंबई हाईकोर्ट को बताया है कि उनकी पूर्व पत्नी स्मिता का बेटा ऐश्वर्य ठाकरे उनकी संतान नहीं है.
इसके अलावा ठाकरे ने कोर्ट में यह भी कहा है कि उनके पिता बाल ठाकरे उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन वह खुद इसके लिए इच्छुक नहीं थे.
जयदेव ठाकरे ने कहा, "पूर्व पत्नी स्मिता ठाकरे राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वाकांक्षी थीं. मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि हमारा जीवन जिस तरह चल रहा है. वह सही है और मेरी राजनीति में कोई रुचि नहीं है, लेकिन उनका जुड़ाव बढ़ता चला गया."
इसके साथ ही उन्होंने अपने भाई और वर्तमान शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया कि उद्धव ने परिवार के राशन कार्ड से उनका नाम हटवा दिया था.
जयदेव ने कोर्ट में बताया कि साल 1973 में जब शिवसेना के शुरुआती दिन थे, तब वह अपने पिता के साथ बैठकों में जाते थे. कोर्ट में बाल ठाकरे के आधिकारिक आवास मातोश्री विवाद में सुनवाई चल रही है. मातोश्री 10 हजार वर्गफीट में बना बंगला है.
जयदेव से बुधवार को अदालत में जिरह चल रही थी. इस दौरान उद्धव ठाकरे के वकील रोहित कपाड़िया ने जयदेव से पूछा कि क्या आपने अपने पिता से बंगले के पहले तल के बारे में सवाल नहीं किया कि उस पर रहता कौन है. इस पर जयदेव ने बताया कि वहां ऐश्वर्य रहता था.
वकील ने पूछा कि क्या ऐश्वर्य उनका बेटा है. जयदेव ने सवाल का घुमाकर जवाब देने की कोशिश की, लेकिन जज गौतम पटेल ने उनसे हां या ना में जवाब देने को कहा. तब जयदेव ने कहा कि ऐश्वर्य उनका बेटा नहीं है.
जिरह के दौरान जयदेव से मातोश्री में आने-जाने को लेकर और पिता से संबंध पर भी सवाल-जवाब हुआ.
गौरतलब है कि जयदेव ने कोर्ट में आरोप लगाया है कि उद्धव ने बरगलाकर यह वसीयत बाल ठाकरे से उस समय तैयार करवाई, जब वह दिमागी तौर पर अस्वस्थ थे. वसीयत में बाल ठाकरे ने जयदेव के नाम बंगले का कोई हिस्सा नहीं लिखा है.
बताया जा रहा है कि बंगले के भूतल में शिवसेना का कार्यालय चलता है, पहला तल पोते ऐश्वर्य के लिए और दूसरा तल बाल ठाकरे के बड़े बेटे स्वर्गीय बिंदुमाधव की पत्नी माधवी के नाम किया गया है. तीसरा तल उद्धव, उनकी पत्नी और बेटों आदित्य व तेजस के नाम है. पोतों में एकमात्र ऐश्वर्य ही हैं, जिनका नाम बाल ठाकरे ने अपनी वसीयत में लिखा है.