आर्टिकल 35A पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवार्इ, अलगाववादियों ने दी धमकी

आर्टिकल 35A के जरिए जम्मू कश्मीर को मिले विशेष अधिकार पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इसे लेकर राज्य में पहले ही हालात तनावपूर्ण हो चुका है. जम्मू कश्मीर के अलगावादी नेताओं के एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य के हित में नहीं आता है तो राज्य के हालात खराब हो जाएंगे.
अलगावादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुख और मोहम्मद यासिन मलिक ने एक संयुक्त बयान जारी किया है. अलगावादी नेताओं ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता है तो एक जन आंदोलन शुरु करनी होगी. अलगावादियों ने कहा कि राज्य के कानून के साथ अगर कोई छेड़छाड़ का कोई भी कदम फलीस्तीन जैसी स्थिती पैदा करेगा.
आर्टिकल 35A पर विवाद क्या है:
जम्मू कश्मीर को मिले विशेषाधिकार आर्टिकल 35A पर आज सुप्रीम कोर्ट को तीन जजों की बेंच मामले पर सुनवाई करेगी. जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस्ट अजय माणिकराल खानविलकर शामिल हैं. आर्टिकल 35A को भंग करने के लिए वी द सिटिजन नाक के एक एनजीओ ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि आर्टिकल 35A और आर्टिकल 370 से जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है, जो भारतीय गणराज्य के बाकी लोगों के साथ भेदभाव जैसा है.
क्या है आर्टिकल 35A
दरअसल आर्टिकल 35A भारतीय संविधान में एक प्रेसीडेंशियल ऑर्डर के माध्यम से 1954 में जोड़ा गया था. यह ऑर्डर राज्य विधानमंडल को राज्य के लिए कुछ विशेष शक्तियां प्रदान करता है, जिसके माध्यम सो वो अगल कानून बना सकते हैं.
इसी अधिकार के तहत देश के अन्य राज्यों का निवासी जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकता और ना ही हमेशा के लिए बसने जा सकता है. बाहर के लोग जम्मू कश्मीर सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते और न ही वहां सरकारी नौकरी कर सकते हैं.