ये है सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को महाभियोग के जरिये हटाने की प्रक्रिया

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग मामले में विपक्ष के सात दलों ने कांग्रेस के साथ सहमति जताई है. इससे पहले विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के आवास पर इस मामले में बातचीत करने पहुंचे. सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग कार्यवाही के नोटिस पर सात राजनीतिक दलों के 71 सांसदों ने दस्तख़त भी कर दिए हैं. जिसके बाद विपक्षी दल ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की और उन्हें महाभियोग का ड्राफ्ट सौंपा.
इससे पहले 1991 में जस्टिस वी रामास्वामी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया था, जो बहुमत की कमी से गिर गया था. जबकि 2011 में जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव पास हुआ था लेकिन लोकसभा में में जाने से पहले उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.
When the judges of the Supreme Court themselves believe that the Judiciary's independence is at threat, alluding to the functioning of the office of the CJI, should the nation stand still and do nothing?: Kapil Sibal, Congress on Impeachment Motion against CJI pic.twitter.com/FynsgVlHrk
— ANI (@ANI) April 20, 2018
क्या है महाभियोग की प्रक्रिया
भारतीय संविधान में महाभियोग का प्रावधान राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को किसी आरोप के बाद पद से हटाने के लिए बनाया गया है. संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में इसका जिक्र किया गया है. महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है. नियमों के अनुसार महाभियोग प्रस्ताव के लिए लोकसभा में 100 और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं.
अगर संसद में महाभियोग का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो तीन सदस्यों की समिति जज पर लगे आरोपों की जांच करेगी. जांच करने वाली समिति में एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस और एक अन्य मामलों के जानकार व्यक्ति को रखा जाता है.
अविश्वास प्रस्ताव दोनों सदनों में लाये जाने पर अध्यक्ष मिलकर एक संयुक्त जांच समिति बनाते हैं. जांच होने के बाद समिति अपनी रिपोर्ट स्पीकर या अध्यक्ष को सौंपती है है फिर उसे सदन में पेश किया जाता है. दोषी पाए जाने पर वोटिंग कराई जाती है. प्रस्ताव पारित होने के लिए कम से कम दो तिहाई का समर्थन मिलना ज़रूरी है. प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद इसे मंज़ूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है. राष्ट्रपति इस पर अंतिम फैसला लेते हैं.
ये भी पढ़ें : CJI के खिलाफ महाभियोग पर 71 सांसद सहमत, मीडिया में बहस से SC परेशान
First published: 20 April 2018, 18:00 IST