नए CAA के तहत नागरिकता मांगने वालों को साबित करना होगा अपना धर्म, ये दस्तावेज भी चलेंगे

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 के तहत भारतीय सिटिजनशिप के लिए आवेदन करने वालों को अपना धर्म साबित करना होगा. संशोधित नागरिकता अधिनियम का उद्देश्य धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से हिंदुओं, सिखों, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी जैसे अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, यह कानून मुसलमानों को बाहर करता है, यह दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वालों पर लागू होगा.
एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि सरकार अपने देश में इन लोगों से धार्मिक उत्पीड़न का सबूत मांगने की संभावना नहीं है, यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्रालय भी नए कानून के लिए नियमों को बनाने की प्रक्रिया में है. उन्होंने कहा “नियमों का मसौदा तैयार किया जा रहा है, लेकिन सीएए के लिए अपने धर्म का कुछ सबूत दिखाना होगा. कहा गया है कि कोई भी सरकारी दस्तावेज जैसे बच्चों का स्कूल नामांकन, आधार आदि पर्याप्त होगा.
उन्होंने कहा कि आवेदकों को यह साबित करने के लिए दस्तावेजों को प्रस्तुत करना होगा कि उन्होंने 2015 से पहले भारत में प्रवेश किया था. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "कानून दो मामलों में धार्मिक उत्पीड़न या धार्मिक उत्पीड़न के डर से तेजी से नागरिकता की अनुमति देता है, इसलिए धार्मिक उत्पीड़न महत्वपूर्ण नहीं है."
एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उन्होंने CAA के तहत नागरिकता के आवेदन के समय को अनिश्चितकाल की बजाय तीन महीने रखने का अनुरोध किया था.
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First published: 28 January 2020, 12:10 IST