'अहीर कॉलेज' के 100 साल भूल गए अखिलेश, पिता की पढ़ाई याद रही

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रविवार को शिकोहाबाद के एक डिग्री कॉलेज गए थे. इस कॉलेज से उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने पढ़ाई की थी. लेकिन सीएम अखिलेश को शायद इस बात की खबर नहीं थी अहीर डिग्री कॉलेज ने इसी दिन अपनी स्थापना के 100 साल पूरे किए.
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अहीर डिग्री कॉलेज की स्थापना 10 जुलाई 1916 को हुई थी. अखिलेश ने वहां दिए भाषण में इसका कोई जिक्र नहीं किया. हालांकि अखिलेश ने ये जरूर कहा कि जिस कॉलेज में उनके पिता पढ़े हैं उसे वो यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने की कोशिश करेंगे.
मुलायम सिंह यादव का परिवार मुख्यतः शिकोहाबाद के इतौली गांव का रहने वाला है. बाद में उनका परिवार सैफई चला गया.
दूसरे कॉलेज
शिकोहाबाद के बाद देश में तीन अन्य अहीर कॉलेज रेवाड़ी (हरियाणा), मदुरई (तमिलनाडु) और मछलीपट्टनम (आंध्र प्रदेश) में खोले गए.
लेकिन तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में अहीर कॉलेज खोलने की क्या वजह रही होगी? इसपर यूपी के पूर्व मंत्री अशोक यादव कहते हैं कि इन स्थानों पर यादवों की अच्छी खासी आबादी थी.
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अशोक यादव दावा करते हैं कि सबसे अधिक यादव तमिलनाडु में हैं और 26-27 उपनामों का प्रयोग करते हैं. अशोक के पुरखों ने ही शिकोहाबाद के अहीर कॉलेज की स्थापना की थी.
कॉलेज की स्थापना चौधरी श्याम सिंह यादव ने की थी जो उरावर स्टेट के जमींदार थे. श्याम सिंह ने अपनी 700 रुपये लगान कॉलेज को दान की थी. उन दिनों कॉलेज ब्रिटिश शासन की संपत्ति था.
पहले कॉलेज में केवल लड़कों को प्रवेश मिलता था बाद में इसके दरवाजे लड़कियों के लिए भी खुल गए.
यादव महासभा
श्याम सिंह के अलावा चौधरी गजराज सिंह यादव (रूपधनी रियासत), उनके बेटे चौधरी कृपाल सिंह यादव, चौधरी महाराज सिंह यादव (भरौल, मैनपुरी), चौधरी प्रताप सिंह यादव (गंगा-जमुनी रियासत) समेत 19 अन्य जमींदारों ने अपने-अपने लगान से कॉलेज को दान दिया था.
1912 में अखिल भारतीय यादव महासभा ने शिकोहाबाद में अपना पहला अधिवेशन किया था. संस्था में कुल 29 लाख सदस्य हैं.
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कुछ दशकों बाद अहीर कॉलेज ने अपना नाम बदलकर एके कॉलेज कर लिया. माना जाता है कि एके अहीर-क्षत्रीय के लिए प्रयोग किया गया. हालांकि कॉलेज आज भी अपने पुराने नाम से ही लोकप्रिय है.
अशोक यादव शिकोहाबाद में जमीनी पकड़ रखते हैं. जब मुलायम सिंह यादव ने शिकोहाबाद से विधान सभा चुनाव लड़ा था तो उन्हें अशोक यादव ने कड़ी टक्कर दी थी. मुलायम को 44 हजार वोट मिले थे, वहीं अशोक को 40 हजार. उसके बाद मुलायम कभी शिकोहाबाद से चुनाव नहीं लड़े.
गोत्र का समीकरण
1998 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और बीजेपी नेता एलके आडवाणी ने अशोक यादव को मैनपुरी से मुलायम के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कहा.
अशोक के अनुसार मुलायम यादवों के कमरिया गोत्र से आते हैं, जबकि वो खुद घोसी गोत्र से. यादवों की कुल आबादी में 84 प्रतिशत घोसी हैं, जबकि महज 16 प्रतिशत ही कमरिया हैं.
अशोक कहते हैं, "मुलायम ने ये समझ लिया था कि गोत्र का समीकरण उनके खिलाफ है इसलिए वो बदायूं चले गए जहां उनके दोस्त कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह ने मेरी हार सुनिश्चित कर दी."
अखिलेश के कार्यक्रम के दौरान स्थानीय विधायक ने उनसे कॉलेज को सैफई परिवार के संरक्षण में लेने की अपील की. इसपर अशोक यादव कहते हैं कि जब तक वो जीवित हैं एके कॉलेज पर वो मुलायम परिवार का वर्चस्व नहीं होने देंगे.
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अशोक यादव ने सीएम के दौरे को पूरी तरह निराशाजनक बताया. अशोक कहते हैं, "सोचिए, एक समय यादवों की शान रहे इस कॉलेज के इतिहास के बारे में सीएम ने एक शब्द नहीं कहा, न ही इसके संस्थापकों को श्रद्धांजलि दी और न ही इससे जुड़ी कोई घोषणा की. उन्होंने बस तिपहिया साइकिल बांटी जो डीएम भी बांट सकते थे."
हो सकता है कि कॉलेज से अशोक यादव के परिवार से जुड़ाव और उनके मुलायम से राजनीतिक टकराव के कारण ही अखिलेश ने कॉलेज के इतिहास को नजरअंदाज किया हो और उसके संस्थापकों की सराहना करने से बचे हों.
लेकिन उनके इस रवैये से क्या यादवों के बड़े तबके (घोसी गोत्र वाले) को बुरा लगा है? इसका जवाब तो वक्त ही दे सकता है.
First published: 12 July 2016, 7:26 IST