उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का तबादला

उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का ट्रांसफर कर दिया गया है. जोसेफ को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का नया चीफ जस्टिस बनाया गया है.
गौरतलब है कि जस्टिस जोसेफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच ने 22 अप्रैल को उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था. फैसला सुनाने से पहले जस्टिस जोसेफ ने केंद्र सरकार के खिलाफ कई सख्त टिप्पणियां की थीं.

केएम जोसेफ को दिलीप बी भोसले की जगह पर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है. वहीं जस्टिस भोसले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर तबादला कर दिया गया है.
दिल्ली से शुरू की थी वकालत
57 साल के जस्टिस जोसेफ ने 1982 में दिल्ली में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. मूल रूप से केरल के रहने वाले जोसेफ ने कानून की पढ़ाई गवर्मेंट लॉ कॉलेज, एर्नाकुलम से की है.
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1983 में जोसेफ ने केरल हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी. 2004 में केरल हाईकोर्ट के जज के रूप में उनकी नियुक्ति हुई थी. बाद में उनका उत्तराखंड ट्रांसफर हो गया.
2014 में जोसेफ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभाला.
राष्ट्रपति शासन पर कड़ी टिप्पणी
उत्तराखंड में 27 मार्च को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू किया था. केंद्र के फैसले के खिलाफ हरीश रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में अपील की थी.
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की बेंच ने कई सख्त टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि देश में कोई राजा जैसे हालात नहीं है. जस्टिस जोसेफ और वीके बिष्ट की बेंच ने कहा था कि राष्ट्रपति भी कई बार गलत हो सकते हैं.
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अदालत ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश देने से पहले केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए थे. अदालत ने कहा था कि राष्ट्रपति ही नहीं कई बार जज भी गलत फैसले ले सकते हैं, लिहाजा न्यायिक समीक्षा का कोर्ट का अधिकार कोई छीन नहीं सकता.
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा था कि अदालत को अधिकार नहीं है कि वो राष्ट्रपति शासन के फैसले को खारिज कर सके. ये उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
हाईकोर्ट ने हटाया था राष्ट्रपति शासन
एजी की इस दलील पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी. साथ ही 22 अप्रैल को उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया गया.
हालांकि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अगले ही दिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए राष्ट्रपति शासन बरकरार रखने का आदेश दिया था.