वेंकैया नायडू: फिल्मों में हिंसा और नग्नता भारतीय समाज के लिए घातक

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने भारतीय सिनेमा के जरिए फैल रही हिंसा और अश्लीलता पर गंभीर चिंता जताई है.
वेंकैया नायडू ने साउथ इंडियन फिल्म चेैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा मंत्री से मिलिए’ कार्यक्रम में फिल्म निर्माताओं से ऐसी पटकथाओं पर काम करने के लिए कहा, जो शांति और विकास से जुड़ी हों.
उन्होंने कहा, "हमारे जमाने की फिल्मों में संगीत, गीत और साहित्य सुंदर होता था, लेकिन धीरे-धीरे सिनेमा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है."
इस मामले में चिंता जाहिर करते हुए नायडू ने कहा, "जो धीरे-धीरे हो रहा है, कुछ मामलों में हिंसा, अश्लीलता, अभद्रता और अभद्र द्विअर्थक संवाद अब सिनेमा के चुनिंदा वर्गों का हिस्सा बन रहे हैं, जो अच्छी बात नहीं है.
सब को सेंसर नहीं किया जा सकता, आपके पास खुद सेंसर लगाने का माद्दा होना चाहिए क्योंकि आप ऐसे दृश्य दिखाकर समाज के साथ अन्याय कर रहे हैं और बच्चों को बरबाद कर रहे हैं."
नायडू ने कहा, "समस्या’ अपराध, हिंसा, अश्लीलता, अभद्रता पर केन्द्रित फॉर्मूला आधारित निर्माण में है और यह ‘माहौल को बिगाड़ ’ रहा है."
उन्होंने कहा, "दृश्यों का मानव मस्तिष्क एवं सोच पर सर्वाधिक गहरा असर पड़ता है. मैं सिनेमा उद्योग के लोगों को कोई व्याख्यान नहीं देता चाहता, लेकिन एक नागरिक होने के नाते, मंत्री के नाते नहीं, उम्मीद करता हूं कि सिनेमा उद्योग इस मामले में और अधिक जिम्मेदार बनेगा."