भारत की बर्बादी चाहने वाले आतंकी संगठनों लश्कर, जैश और इंडियन मुजाहिद्दीन में जंग शुरू

भारत को तबाह करने का सपना पाले बैठे पाकिस्तान के आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैय्बा और जैश-ए-मोहम्मद हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया सैय्यद सलाउद्दीन के पर कतरने की फिराक में हैं. हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया सैय्यद सलाउद्दीन पर पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार लश्कर-ए-तैय्बा और जैश-ए-मोहम्मद उसे पद खाली करने के लिए कह रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसे पाकिस्तान में रहकर भारत के खिलाफ आंतकी साजिश रचने वाले संगठनों के बीच बढ़ती प्रतिद्वंदिता के तौर पर देखा जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा और मौलाना मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद सलाउद्दीन के खिलाफ अभियान चला रहे हैं.
आईएसआई के ऊपर सलाउद्दीन को हटाने के लिए लश्कर और जैश कड़ा दबाव बना रहे हैं. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार लश्कर और जैश ने सलाउद्दीन के कमांडर जैसे कि आमिर खान, इम्तियाज आलम और कुछ अन्य को उसके खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया है.
नाम न बताने की शर्त पर गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'पिछले दो महीनों में बीएसएफ कैंप, सीआरपीएफ और सेना पर हुए आत्मघाती हमलों को देखें तो यह साबित करता है कि जैश और लश्कर के हमले बढ़ाकर अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं.'
सुरक्षा एजेंसियां भी इसे सईद और अजहर द्वारा सलाउद्दीन को अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश के तौर पर देख रहीं हैं. माना जा रहा है कि इन दोनों आतंकवादी संगठनों की मंशा कश्मीरी आतंकवादियों को, जो आमतौर पर हिजबुल के साथ जुड़ते हैं, पाकिस्तान में अच्छी तरह ट्रेनिंग लेकर खुदकुश हमले के लिए तैयार करना है.
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एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'यह अच्छा है कि ये ग्रुप आपस में ही लड़ रहे हैं लेकिन अगर कश्मीरी आतंकवादी जैश और लश्कर के साथ जुड़ने लगे तो यह एक खतरनाक चलन साबित हो सकता है.'
सलाउद्दीन ने कई साल तक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से हिजबुल और यूनाइटेड जेहाद काउंसिल (यूजेसी) की कमान संभाली है. लेकिन अब उसे कश्मीर-केंद्रित ऑपरेशंस में हिजबुल की घटती भागीदारी और अन्य आतंकी संगठनों की बढ़ती महत्वकांक्षा से काफी चुनौतियां मिल रहीं हैं.
गौरतलब है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन का यह सरगना, संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल है. वह काफी समय से पाकिस्तानी सेना द्वारा बनाए गए यूजेसी का प्रमुख है. यह भारत के खिलाफ आतंकवादी हमले कर रहे आतंकी संगठनों का समूह है. रिपोर्टस के मुताबिक हिजबुल के कुछ लोग भी सलाउद्दीन के खिलाफ गुटबाजी कर रहे हैं.
कश्मीर में हिजबुल के कमजोर पड़ने के कई कारण सामने आए हैं. इनमें, बीते दो साल में सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा चलाए गए संयुक्त अभियानों में उसके बड़े नेताओं का मारा जाना भी शामिल है. सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए अभियान में बुरहान वानी, सब्जदार भट, सज्जाद गिलकर और अब्दलु कायूम नजर को मार गिराया है.
अधिकारियों ने बताया कि हिजबुल ने घाटी में सुरक्षाबलों पर भी कोई बड़ा हमला नहीं किया है. इससे उनके पाकिस्तानी आका नाराज हैं. जैश और लश्कर को ज्यादा तरजीह देने का एक कारण यह भी है कि ये संगठन घाटी में भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं जैसाकि हाल ही में सुंजवान और सीआरपीएफ कैंप में हुए हमले में हमें देखने को मिला.
First published: 16 February 2018, 10:02 IST