West Bengal : बहुत प्रयास हुआ कि सुभाष बाबू को भुला दिया जाए- अमित शाह
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West Bengal Elelction : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी बड़े जोर शोर से प्रचार में लगी हुई है. इसी कड़ी में आज गृह मंत्री अमित शाह ने नेशनल लाइब्रेरी में शौर्याजंलि कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान अमित शाह ने कहा ''देश की जनता सुभाष बाबू को इतने साल के बाद भी उतने ही प्यार और सम्मान से याद करती है जितना वे जीवित थे और संघर्ष करते थे तब करती थी. बहुत प्रयास हुआ कि उनको भुला दिया जाए लेकिन उनका व्यक्तित्व, काम और बलिदान कोई कितना भी प्रयास करे भारतवासियों के मन में वैसे ही रहेगा''.
अमित शाह ने कहा ''सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो यह सुनिश्चित करेगी कि सुभाष बाबू के जीवन, काम और देशभक्ति के जो संस्कार उनसे मिले हैं उसे दुनिया में जहां भी भारतीय में बसे हैं वे प्रेरणा लेकर भारत को महान बनाने में अपना योगदान देते रहें''. उन्होंने कहा ''हम लोगों के भाग्य में देश के लिए मरना नहीं है, मगर देश के लिए जीना ईश्वर ने हम पर छोड़ा है. जिन्होंने देश के लिए अपनी जान का बलिदान दिया, उसका स्मरण करके हम बाकी का जीवन देश के लिए जीना तय कर दे, तो उनके बलिदान को इससे बड़ी श्रद्धांजलि कोई नहीं हो सकती है.''
इधर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया. इस समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मौजूद हैं.समारोह में पीएम मोदी ने कहा आ''प सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं. गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिय.''
उन्होंने कहा ''गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सिखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा. गुरुदेव का ये मॉडल भ्रम, त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित था इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सिखने का ऐसा स्थान बनाया जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे.
पीएम ने कहा ''विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गयी थी. ज्ञान की रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती है, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी.''
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