वर्जनिटी टेस्ट का किया विरोध तो पंचायत ने लड़की को सुनाया ऐसा फरमान...

पुणे के पिंपरी भाटनगर इलाके में एक महिला को नवरात्रि के डांडिया आयोजन से बाहर निकाल दिया गया. उस महिला को सार्वजनिक रूप से चल रहे आयोजन से बाहर निकाला गया. उसकी गलती ये थी कि उसने समुदाय में काफी लम्बे समय से चले आ रहे 'विर्जिनिटी टेस्ट' की कुप्रथा का विरोध किया. महिला का दोष बस इतना था कि वो समुदाय के उस रिवाज का विरोध कर रही थी जिसमे शादी के अगले दिन महिलाओं की वर्जिनिटी का परीक्षाएं किया जाता है. पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है.
इस मामले में ऐश्वर्या ने पिंपरी थाने में तहरीर देकर आठ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. ये सभी 8 आरोपी जाट पंचायत के सदस्य हैं. महिला ने इनके ऊपर आरोप लगाया है कि उसे समुदाय से बहिष्कार करने का फरमान सुनाया. पीड़िता ने बताया कि जब वो पिंपरी में एक डांडिया में हिस्सा लेने गई तो उसके पहुंचते ही संगीत बंद कर दिया गया और उसे उसकी मां के साथ वहां से चले जाने का आदेश दिया गया. डांडिया का ये समारोह जाट पंचायत द्वारा आयोजित किया गया था.
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ऐश्वर्या ने बताया, ''मैं पंडाल के पीछे आई लेकिन फिर भी संगीत शुरू नहीं हुआ. एक वृद्ध व्यक्ति ने घोषणा की कि अब डांडिया का समारोह तभी शुरू होगा जब कुछ लोग पंडाल के बाहर जाएंगे. उस समय वहां लगभग चार सौ लोग मौजूद थे लेकिन कोई भी मेरे समर्थन में नहीं आया. मैंने जैसे ही पंडाल छोड़ा संगीत शुरू हो गया. इससे साफ है कि समुदाय ने मेरा बहिष्कार कर दिया है.''
गौरतलब है कि इस समुदाय में रिवाज है कि शादी के बाद सुहागरात के अगले दिन जोड़े को यह साबित करना जरूरी है कि शादी के पहले महिला वर्जिन थी. इसके लिए पंचायत के सदस्य बेडशीट चेक करते हैं. अगर पंचायत के लोगों को सबूत न मिले तो वह शादी को अवैध घोषित कर देते हैं.
इस कुप्रथा का विरोध दो साल पहले एक दूसरी महिला ने भी किया था. इस कैंपेन को स्टॉप द वी टेस्ट नाम दिया गया था. दिसंबर 2017 में ये कैम्पेन एक बार फिर से प्रकाश में आया जब ऐश्वर्या और उनके पति ने भी इस रिवाज का विरोध किया. उन्होंने पंचायत के सदस्यों को बेडशीट दिखाने से इनकार कर दिया.जिसके बाद मई में पंचायत ने इस जोड़े का सामाजिक बहिष्कार कर दिया.