उत्तर प्रदेश चुनाव: मुलायम ने अखिलेश को सीएम पद का चेहरा बनाने से मना किया

- देश के सबसे ताक़तवर सियासी कुनबे में से एक यादव परिवार के बीच आपसी खींचतान ख़त्म नहीं हो रही है.
- समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के एक जवाब से इशारा मिलता है कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वह अपने बेटे और सीएम अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाएंगे.
लखनऊ में 5 नवंबर को सपा की 25वीं वर्षगांठ के जश्न की तैयारियों पर पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव मीडिया से मुख़ातिब थे. इसी दौरान सीएम अखिलेश यादव को यूपी चुनाव में सीएम पद का चेहरा बनाने को लेकर सवाल किया गया. जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी विधायक चुनाव के बाद अपने नेता का चयन करेंगे.
इस बयान से साफ पता चलता है कि परिवार में अखिलेश का संघर्ष बढ़ने के साथ-साथ उनका भरोसा अधर में चला गया है. इसके बाद शुक्रवार को एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि चुनाव प्रचार की कमान संभालने के लिए वह अकेले ही तैयार हैं.
मगर मुलायम के बयान से शिवपाल यादव की ताक़त में इज़ाफ़ा होता दिख रहा है. उनका बयान यह सवाल भी छोड़ता है कि विधायक दल के नेता अखिलेश को सीएम पद के लिए चुनते हैं या नहीं?
लोकप्रिय अखिलेश
2012 के विधानसभा चुनाव के पहले भी मुलायम सिंह यादव ने विद्रोह से बचने के लिए ठीक यही दांव चला था और नाम के खुलासे को लेकर पत्ते आखिरी मिनट तक नहीं खोले थे. मगर 2012 में हालात अलग थे. तब अखिलेश अनुभवहीन और राजनीति में नौसिखिया थे मगर अब उनकी लोकप्रियता में इज़ाफ़ा हो चुका है. हाल ही में अखिलेश ने यह भी कहा कि सूबे की जनता उन्हें दोबारा सत्ता में देखना चाहेगी.
ज़मीनी सच्चाई तो यही है कि हाल के महीनों में सीएम अखिलेश पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल की तुलना में पार्टी का विश्वसनीय चेहरा बनकर उभरें हैं. दूसरी ओर इन दोनों के ही साथ सत्ता का संघर्ष लगातार जारी है.
हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण से भी पता चलता है कि समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह की तुलना में अखिलेश यादव अधिक लोकप्रिय चेहरा हैं. मगर मुलायम सिंह की राय इससे बिल्कुल जुदा है. वो अभी भी मानते हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में वह लोगों की पहली पसंद थे.
खटास बरकरार
सार्वजनिक रूप से अपने बेटे की कर्इ बार फटकार लगा चुके मुलायम सिंह ने इस साल के अगस्त महीने में भी उन्हें खुलेतौर पर चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि अगर मैं खड़ा हो जाऊं, तो इस सरकार को मजबूती मिलेगी. मगर उनका यह बयान तब आया था, जब कैबिनेट से शिवपाल यादव ने इस्तीफा देने की धमकी दी थी.
बुधवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव लखनऊ में होने के बावजूद मौजूद नहीं थे. वहीं सम्मेलन में मौजूद मुलायम सिंह यादव से पारिवारिक कलह पर पूछे गए सवालों पर जवाब यही थी कि परिवार में कोर्इ मतभेद नहीं हैं.
मगर अखिलेश अजकल अपने परिवार के साथ कम देखे जा रहे हैं. इसकी झलक हाल ही में राम मनोहर लोहिया की 49वीं पुण्यतिथि पर दिखी, जब अखिलेश लोहिया पार्क में पिता और चाचा के पहुंचने से एक घंटे पहले आए और बिना मुलाकात किए वहां से वापस निकल गए.
उत्तर प्रदेश में सपा के चुनाव अभियान में पहले ही देरी हो गई है और परिवार की अंदरूनी कलह भी जारी है. इस संघर्ष में मुलायम और शिवपाल एक तरफ जबकि अखिलेश दूसरे छोर पर खड़े दिखार्इ दे रहे हैं. जो समाजवादी पार्टी के चुनावी रथ को अलग-अलग दिशाओं में खींचते जा रहे हैं.
First published: 16 October 2016, 3:54 IST