चीन सरकार सेंसर किए बिना भी नियंत्रित कर रही है जनता के विचार

अभिव्यक्ति की आजादी के मामले में चीन की अक्सर आलोचना होती रहती है. देश के नागरिकों को कौन सी सूचना दी जाए और कौन सी नहीं इसपर चीन सरकार कड़ा नियंत्रण रखती है.
अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अकादमिकों के ताजा अध्ययन के अनुसार चीन सरकार हर साल औसतन 48.8 करोड़ सोशल मीडिया पोस्ट को कुंद कर देती है.
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चीन में संवेदनशील मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए एक 'व्यापक गुप्त अभियान' के तहत ये किया जाता है. चीन में करीब 70 करोड़ इंटरनेट यूज़र हैं.
यानी चीन सरकार ऐसे किसी भी मुद्दे को जनता की नजर में आने से रोकती है जिससे लोगों में आक्रोश पैदा होने की आशंका हो.
सरकार किसी विवादित मुद्दे पर स्पष्टीकरण या जवाब देने की कोशिश नहीं करती. वो चाहती है कि उस पर बहस ही न हो और कोई बहस शुरू होने की संभावना बन रही हो तो वो जल्द से जल्द दम तोड़ दे.
इन अकादमिकों द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, "किसी बहस का बीच में ही खत्म हो जाना या विषयांतर हो जाना सफाई देने या तर्क-वितर्क करने से ज्यादा कारगर साबित होता है."
रिपोर्ट में के अनुसार, "वो तीखी से तीखी टिप्पणी पर सरकार, नेताओं या उनकी नीतियों के बचाव का प्रयास नहीं करते. ऐसा प्रतीत होता है कि वो विवादित मुद्दों को पूरी तरह उपेक्षित बनाने की कोशिश करते हैं."
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सरकारी कर्मचारी विवादित विषयों को कुंद करने के लिए असली लगने वाली आम चीनी नागरिकों वाले प्रोफाइल का इस्तेमाल करते हैं.
चीन सरकार के इस सोशल मीडिया नियंत्रण तंत्र के बारे में शोधकर्ताओं को ज्यादा जानकारी नहीं मिली सकी. कुछ लोगों के अनुसार इन लोगों को वुमाओ (50 सेंटिए) कहा जाता है. माना जाता है कि इन लोगों को हर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए 50 सेंट मिलते हैं. हालांकि शोधकर्ताओं को इस बारे में कोई ठोस सुबूत नहीं मिले.
आम तौर पर सरकारी कर्मचारी सरकार के आदेश पर सोशल मीडिया पर सरकारी की तरफदारी वाली पोस्ट लिखते हैं. शोधकर्ताओं को ये सूचना लीक हुए सरकारी ईमेल के माध्यम से मिली. इससे ये भी प्रमाणित हुआ कि ऐसी पोस्ट के पीछे सरकार का हाथ होता है.
इस रिपोर्ट के अनुसार जब शिनजियांग में जून 2013 में नस्ली हिंसा शुरू हुई तो चीन-समर्थक सैकड़ों संदेश सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए. उसी साल नवंबर में बीजिंग में होने वाली एक बडी राजनीतिक बैठक के समय भी ऐसे संदेशों की बाढ़ आ गई थी.
रिपोर्ट के अनुसार किसी बहस को कंद कर देना उसपर प्रतिबंध लगाने या जिरह करने से ज्यादा कारगर साबित होता है. रिपोर्ट के अनुसार, "प्रतिबंध लगाने से जनता में आक्रोश फैलता है लेकिन 50 सेंट वालों की मदद से सरकार बगैर कोई प्रतिबंध लगाए लोगों के विचारों को नियंत्रित करने में कामयाब रहती है."
अभिव्यक्ति की आजादी के दमन के लिए चीन एक से एक तरीके आजमाता रहा है. इसलिए इस नई जानकारी के सामने आने के बाद शायद ही किसी को हैरानी हुई हो.
First published: 23 May 2016, 23:45 IST