ऐसा देश जहां एक भी नौजवान को यकीन नहीं कि दुनिया ईश्वर ने बनाई है

दुनिया में एक ईसाई बहुल देश ऐसा भी है जहां 25 साल से कम उम्र का एक भी नौजवान ये नहीं मानता की दुनिया को ईश्वर ने बनाया है. ये देश है आइसलैंड जहां हुए एक ताजा सर्वे में ये जानकारी सामने आयी.
'द आइसलैंड मैगजीन' के अनुसार सर्वे में शामिल 93.9 प्रतिशत नौजवानों ने कहा कि दुनिया बिग बैंग से वजूद में आयी. वहीं करीब छह प्रतिशत ने जवाब में 'पता नहीं' या 'अन्य कारण' कहा. किसी भी नौजवान ने ये नहीं कहा कि दुनिया को ईश्वर ने बनाया है.
सर्वे में शामिल 25 से 44 साल की उम्र के 77.7 प्रतिशत लोगों ने बिग बैंग को ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का कारण माना. ये सर्वे 'आइसलैंडिक एथिकल हम्यूमनिस्ट एसोसिएशन' ने कराया है.
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सर्वे में शामिल लोगों के विश्वास में उनके उम्र के हिसाब से अंतर देखा गया. इस यूरोपीय देश में हुए सर्वे में शामिल 61.1 आइसलैंडर ने कहा कि उन्हें 'ईश्वर के अस्तित्व' में यकीन है. वहीं सर्वे में शामिल '55 से अधिक उम्र वाले 80.6 प्रतिशत लोगों ने खुद को ईसाई बताया और 11.8 प्रतिशत ने खुद को नास्तिक बताया. जबकि 25 से कम उम्र के 40.5 प्रतिशत लोगों ने खुद का नास्तिक बताया और महज 42 प्रतिशत ने खुद को ईसाई बताया.'
हालांकि डिजिटल दुनिया में इस सर्वे की आलोचना भी हो रही है. रेडिट पर एक यूज़र ने लिखा है कि इस सर्वे में लोगों से भ्रामक सवाल पूछा गया. यूजर ने लिखा है, "लोगों से पूछा गया कि आपके ख्याल से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे हुई? जिसके जवाब में नौजवानों ने कहा कि ब्रह्माण्ड बिग बैंग से वजूद में आया. लेकिन बहुत से आस्तिक ये मानते हैं कि बिग बैंग का कारण भगवान हैं."
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कुछ यूज़र ने ये भी कहा कि बिग बैंग की परिकल्पना तो खुद पादरी और भौतिकिविद् जॉर्ज लेमैत्रे ने दी थी. अक्टूबर 2014 में कैथोलिक पोप फ्रांसिस ने कहा था कि 'बिग बैंग' और 'विकासवाद का सिद्धांत' सच्चाई है. उन्होंने कहा कि "ईश्वर जादूगर नहीं है जिसके पास जादू की छड़ी है."
पोप ने कहा था कि इन वैज्ञानिक सिद्धांतों और 'ईश्वर के अस्तित्व' के बीच कोई असंगतता नहीं है. पोप ने यहां तक कहा कि इन्हें 'ईश्वर की जरूरत है.'