इस देश में हुई सैनिकों की भारी कमी, विदेशियों और नाबालिगों को किया जा रहा भर्ती

द्वितीय विश्व युद्ध के विनाश और शीत युद्ध के विभाजन के बाद सेना अभी भी जर्मन लोगों के लिए एक विवादास्पद विषय है. कभी दुनियाभर में सबसे ताकतवर मानी जाने वाली जर्मनी की सेना विभिन्न संगठनात्मक और तकनीकी समस्याओं, जैसे उपकरण की कमी, वित्त पोषण और सैनिकों की कमी से जूझ रही है. इसमें खासतौर से सेना में जाने के लिए लोगों की कमी महत्वपूर्ण मुद्दा बन रहा है. 2011 में अनिवार्य सैन्य सेवा समाप्त होने के बाद इसमें और भी कमी आ गई है.
सेना में कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1980 के दशक के मध्य में सेना में 585,000 सैनिक थे जिनका स्तर 2018 के मध्य तक 179 000 के नीचे गिर गया है. 2017 में यहां 21,000 खाली पद थे और बलों के मौजूदा सदस्यों में से आधे 2030 तक रिटायर होने वाले थे.
2016 के मध्य में रक्षा मंत्री उर्सुला वॉन डेर लेन ने कहा कि सेना में महिलाओं को 2000 तक सशस्त्र सेवाओं में रहने की अनुमति नहीं थी. वॉन डेर लेन ने कहा कि वह सेना से 185,000 को हटाकर सात साल में 14,300 सैनिकों को जोड़ देंगी. यह कुल मिलाकर 2017 में 20,000 तक पहुंच गया था.
डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार तकनीक के मामले में अग्रणी देश जर्मनी की सेना खस्ताहाल है. जर्मन रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर उपकरण एक्शन के लिए तैयार ही नहीं हैं. ऐसी मशीनों की लिस्ट भी जारी की गई है.

सैनिकों को कहां से लाएं ?
उन नए कर्मियों को लाने के लिए चर्चा इस बात को लेकर की जा रही है कि इन सैनिकों को कहां से लाया जाये, क्या उन्हें यूरोपियन यूनियन के देशों से लाया जाए. इसको लेकर देश की राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि सेना में भर्ती करने के लिए इन लोगों में योग्यता भी होनी चाहिए. रक्षा विशेषज्ञों और राजनेताओं का कहना है कि किसी भी विदेशी को सेना में लाने से पहले उसको नागरिकता देनी होगी .
नाबालिग किये जा रहे सेना में भर्ती
देश में 18 साल से कम उम्र वालों को भी सेना में लाने की बात चल रही है, इसके लिए बतौर मीडिया अभियान भी चलाया जा रहा है. सेना के आधिकारिक यूट्यूब चैनल में 300,000 से अधिक सब्सक्राइबर हैं और इसके वीडियो को लगभग 150 मिलियन लोगों ने देखा है. यह सेवा अन्य सोशल मीडिया साइटों के बीच फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर भी सक्रिय है. 2017 में सेना की भर्ती खर्च लगभग 40 मिलियन डॉलर था, जो 2011 के खर्च से दोगुना था.
रॉयटर्स के अनुसार सेना में जाने के लिए चलाये जा रहे इस अभियान में 10,000 से अधिक नाबालिगों ने हस्ताक्षर किए हैं. रिपोर्ट के अनुसार कई ने कहा की उनकी कम उम्र के कारण उन्हें सेना में जाने के लिए मां की अनुमति की आवश्यकता होगी. कई लोग सेना में जाने पर संदेह करते हैं.
हालांकि कुछ जर्मन ऐसे भी हैं जो अपने देश को खतरे में नहीं देख सकते हैं. इसलिए युवाओं में यह रवैया बदल भी रहा है. हाल ही में 20,000 छात्रों के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि देश में पुलिस में शामिल होना तीसरी सबसे आकर्षक जगह थी. हालांकि देश में नाबालिगों की भर्ती का मुद्दा विवादस्पद रहा. कुछ राजनेताओं और बच्चों के अधिकारों के समर्थकों ने इस दृष्टिकोण के लिए सरकार की आलोचना की.
First published: 26 August 2018, 12:33 IST