कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की बचकानी कार्रवाई बन रही मीडिया की सुर्खियां

कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की मुसीबतें लगातार मीडिया में सुर्खियां बन रही हैं. उईगुर कांग्रेस के नेता डॉल्कन ईसा को वीजा जारी करने के कुछ ही दिन बाद वीजा रद्द कर दिया गया. कथित तौर पर चीन के ही दो और निर्वासित नेताओं रे वोंग और लू जिंगुआ ने भी बयान दिया है कि उनका वीजा भी भारत ने अंतिम क्षणों में रद्द कर दिया.
इन तीनों नेताओं को धर्मशाला में उस सम्मेलन में शिरकत करनी थी, जिसे दलाई लामा संबोधित करेंगे. इस कदम को ऐसे देखा जा रहा है कि चीन के दबाव के आगे भारत झुक गया है. और यह बात भी उठ रही है कि जब भी इस तरह के मसले आते हैं, उनसे निपटने के लिए हमारे देश के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं होती.
विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि डॉल्कन ईसा के वीजा के मामले में अस्थिर रवैया अपनाना विदेश नीति के मामले में मोदी का पहला बड़ा गलत कदम था. उनका यह भी कहना है कि यदि भारत जैसे को तैसा की प्रतिक्रिया देने के लिए गंभीर था तो ईसा का वीजा रद्द नहीं करना चाहिए था.
“ईसा को वीजा देने की बात हो या बाद में उसे रद्द करने की, उसके निहितार्थ निकालने में सावधानी बरतनी होगी
इतना ही नहीं, यह भी हैरान करने वाला है कि भारत एक तरफ तो अपने देश में चीन और लोकतंत्र पर सम्मेलन करने की अनुमति दे रहा है, जिसमें दलाई लामा उपस्थित रहेंगे, वहीं दूसरी तरफ लोगों को आने और उसमें शिरकत करने की अनुमति ही नहीं दे रहा.
इसके विपरीत भारत ने जब पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में काली सूची में डालने का प्रयास किया तो चीन ने इसके खिलाफ अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर भारत के इरादों पर पानी फेर दिया.
विदेश मंत्रालय ने कहा, “ईसा को वीजा देने की बात हो या बाद में उसे रद्द करने की, उसके निहितार्थ निकालने में सावधानी बरतनी होगी.”
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पहले कहा था कि डॉल्कन ईसा को वीजा देने के मामले में मंत्रालय शामिल नहीं था. वही अब दावा कर रहे हैं कि उन्हें ई-वीजा जारी करने वाले गृह मंत्रालय से वीजा विवाद पर "कुछ जानकारियां” प्राप्त हुई थी. सूत्रों का कहना है कि जहां तक लू जिंगुआ का सवाल है, उनके कुछ दस्तावेज अस्पष्ट थे और उनके प्रवास के उद्देश्य में विसंगति थी.
जहां तक रे वोंग की बात है, उनके दस्तावेजों में डाटा में विसंगतियां थीं. सूत्रों ने यह भी दावा किया कि जब इन लोगों को वीजा दिया ही नहीं गया था तो निरस्त करने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
चीन ने ईसा को भारत यात्रा की अनुमति देने पर चेतावनी दी थी, क्योंकि ईसा के खिलाफ रेड-कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है
लू 1989 में थ्येनआनमेन चौक पर हुए बहुचर्चित चीन विरोधी प्रदर्शन में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं और चीन उनको बड़े अपराधी के तौर पर देखता है. खबरों के अनुसार लू ने दावा किया कि है कि उनको न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर बताया गया कि उनका वीजा रद्द कर दिया गया है.
उन्होंने एक समाचार पत्र को बताया कि उनके ई-वीजा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और उन्हें दूतावास से भागने को मजबूर होना पड़ा. रे वोंग हॉन्गकॉन्ग के रहने वाले छात्र नेता हैं.
दिलचस्प बात यह है कि डॉल्कन ईसा के मामले में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने पर्यटक वीजा के लिए आवेदन दिया था, जबकि उनको कॉन्फ्रेंस वीजा के लिए आवेदन करना चाहिए था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि "ईसा ने पर्यटक वीजा के लिए आवेदन किया था. वीजा मिलने के बाद ईसा ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि वे एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आ रहे थे. यह ऐसा तथ्य था, जो वीजा आवेदन के फार्म में छिपाया गया था और इसकी अनुमति पर्यटक वीजा पर नहीं दी जा सकती.”
चीन ने ईसा को भारत यात्रा की अनुमति देने पर चेतावनी दी थी, क्योंकि ईसा के खिलाफ रेड-कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है. गृह मंत्रालय द्वारा पहले जारी बयान में कहा गया था कि ईसा को इसलिए ई-वीजा दिया गया था क्योंकि उनको काली सूची में नहीं डाला गया था और रही रेड-कॉर्नर नोटिस की बात तो ई-वीजा के लिए आवेदन के समय वह दिखाई नहीं देता. लेकिन इसका किसी पर भी असर नहीं हुआ.
भले ही दोनों मंत्रालय इसके पीछे जो भी तर्क दें, लेकिन माना जा रहा है कि भारत के इस कदम से राजनीतिक तौर पर भारत को भारी क्षति हुई है. इसने यह भी दिखा दिया कि सरकार के मंत्रालयों में आपसी तालमेल की कितनी कमी है.