भारत और ब्रिटेन, एक दूजे के लिए...
- नरेंद्र मोदी के तीन दिन के ब्रिटेन दौरे में दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए. दोनों देश गंगा सफाई, क्लीन एनर्जी, रक्षा अनुसंधान और विदेशी निवेश पर सहयोग बढ़ाने को राजी.
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भारत के साथ संबंधों को बेहतर करना चाहते हैं. भारत सरकार के सामने अवसर का फायदा उठाने का वक्त है.
नरेंद्र मोदी गुरुवार को ब्रिटेन के तीन दिन के दौरे पर रवाना हो गये. बिहार विधान सभा चुुनाव में मिली हार के कारण दौरे से पहले उनकी चमक शायद थोड़ी फीकी पड़ गयी थी.
किसी राज्य के चुनाव में हार या जीत मिलना किसी राजनेता के जीवन का हिस्सा है. लेकिन दादरी में हुई हत्या, लेखकों, वैज्ञानिकों, इतिहासकारों, फिल्मकारों के अवार्ड वापसी, भारत में बढ़ती असहिष्णुता के आरोपों के चलते नरेंद्र मोदी की मुश्किलें कई गुना बढ़ गयी हैं.
नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन दौरे में भी इन मुद्दों के उठने की संभावना है. एक तरह से इसकी शुरुआत 8 नवंबर को हो भी गयी जब एक संगठन ने ब्रितानी संसद पर बीम लाइट से स्वास्तिक और नरेंद्र मोदी की तस्वीर बना दी. उस तस्वीर के साथ लिखा हुआ था कि "नरेंद्र मोदी का स्वागत नहीं है."
हालांकि भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल नहीं मानते कि मोदी के ब्रिटेन दौरे पर बिहार में मिली हार की छाया पड़ेगी.
वो कहते हैं, "घरेलू राजनीति का विदेश नीति पर बहुत मामूली असर पड़ता है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को ही देख लें. उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी सीनेट और कांग्रेस में बहुमत खो चुकी है लेकिन उनकी विदेश नीति नहीं बदली है, न ही दूसरे देशों में उनका सम्मान कम हुआ है."
सिब्बल आगे कहते हैं, "नहीं, बिहार में मिली हार का मोदी के दौरे पर प्रभाव नहीं पड़ेगा."
ये भी सच है कि ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों में मोदी के समर्थकों की संख्या उनके आलोचकों से काफी अधिक ही होगी.
लंदन के जिस वेम्बले स्टेडियम में मोदी प्रवासी भारतीयों को संबोधित करेंगे उसके सभी टिकट पहले ही बिक चुके हैं. माना जा रहा है वहां उनका एक रॉकस्टार की तरह स्वागत होगा जैसे अमेरिका के मैडिसन स्क्वायर में हुआ था.
बिहार में मिली हार के बाद छवि सुधार की कोशिश के तहत मोदी सरकार ने कई अहम क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई)सुधारों की घोषणा की. ब्रिटेन दौरे से ठीक पहले की गयी इस घोषणा से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी आने और नए रोजगार तैयार होने की उम्मीद है. उम्मीद की जा रही है कि इस घोषणा के बाद विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने केे लिए बढ़ावा मिलेगा.
ख़ुद भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन जाने से पहले ट्वीट किया, "ब्रिटेन के लिए निकल रहा हूं. उम्मीद है कि इस यात्रा से भारत और ब्रिटेन के कारोबारी रिश्ते मजबूत होंगे और देश में ज्यादा निवेश आएगा."
ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अब तक भारत का तीन बार दौरा कर चुके हैं लेकिन पिछले नौ सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली द्विपक्षीय ब्रिटेन यात्रा है. सिब्बल कहते हैं, "इस यात्रा से ये कमी पूरी हो जाएगी."
कारोबारी जरूरत
इंडिया-यूके सीईओ फ़ोरम को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी कोशिश करेंगे की ब्रितानी कारोबारी भारत में उत्पादन में सहयोग करें.
प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से पहले भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने मीडिया से कहा, "अगर प्रधानंत्री ब्रितानी कारोबारियों और वित्तीय संस्थानों के लोगों से मिलते हैं, अपनी आर्थिक नीतियों के बारे में स्पष्टता, अधिकार और विश्वसनियता के साथ उन्हें बताते हैं तो इससे भारत में विदेशी निवेश को लेकर निवेशकों का रुख बदलेगा जिससे भारत में रोजगार के नए मौके तैयार होंगे."
भारतीय प्रधानमंत्री के एजेंडे में क्लीन एनर्जी प्रमुख मद्दा है. ब्रिटेन इस क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में एक है. भारत ब्रिटेन के साथ गंगा की सफाई, स्वच्छ जल और स्मार्ट सिटी जैसे मुद्दों पर जरूर बातचीत करना चाहेगा. भारत के पूर्व विदेश सचिव ललित मानसिंह कहते हैं, "विज्ञान और तकनीकी शोध के मामले ब्रिटेन अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है. ब्रिटेन के साथ समझौता करके हम इसका लाभ उठा सकते हैं."
ललित मानसिंह कहते हैं चूंकि लंदन दुनिया का कारोबारी गढ़ है इसलिए वहां निवेश के अवसर तलाशना भारत के लिए काफी अहम है. वो आगे कहते हैं, "इसके अलावा ब्रिटेन भारतीय निवेशकों के लिए यूरोपीय बाजार दरवाजे खोलने में मददगार साबित हो सकता है."
ब्रिटेन की कारोबारी राजधानी लंदन और भारत की कारोबारी राजधानी मुंबई के बीच बेहतर रिश्ते होंगे तो भारतीय कारोबारियों को ओवरसीज बॉन्ड जारी करने में सहूूलियत रहेगी.
हिंदी ब्रितानी भाई भाई
कहा जा रहा है कि भारत ब्रिटेन से 10 हॉक एडवांस्ड जेट ट्रेनर खरीदेगा. लेकिन भारत की रुचि ब्रिटेन के संग साझा रक्षा अनुसंधान में ज्यादा रहेगी.
इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस से जुड़े सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर रुमेल दहिया कहते हैं,"यूरोप की रक्षा कंपनियों से समझौता करके हम अत्याधुनिक रक्षा तकनीकी पा सकते हैं. इस यात्रा के दौरान भारत इसके लिए प्रयास करेगा."
दहिया आगे कहते हैं, "भारत की मौजूदा सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाना चाहती है. मुझे उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान इसपर बातचीत जरूर होगी. "
भारत रक्षा क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने की शुरुआती कोशिश कर रहा है. उसकी कोशिश करेगा कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा मिले जिससे देश में ज्यादा रोजगार तैयार होगा.
दोनों देशों के बीच आतंकवाद का मुकाबला करने को लेकर भी परस्पर सहयोग बढ़ने की काफी संभावना है. भारत के पूर्व ब्रिटेन हाई कमिश्नर नलिन सूरी कहते हैं, "उनका पूरी दुनिया में खुफिया तंत्र है जो हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है."
एस जयशंकर भी इससे सहमत हैं. जयशंकर मानते हैं कि दोनों देशों के बीच खुफिया सूचनाओं की साझेदारी को बेहतर बनाना होगा.