नेपाल की चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के ख़िलाफ़ महाभियोग

नेपाल सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस प्रधान सुशीला कार्की के खिलाफ महाभियोग का मामला दर्ज करवाया है और इसके साथ ही सुशीला चीफ जस्टिस पद से निलंबित हो गईं.
नेपाल की केंद्रीय सत्ता में काबिज नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-माओवादी केंद्र के 249 संसद सदस्यों ने कार्की पर विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने और पक्षपातपूर्ण तरीके से फैसले देने का आरोप लगाया है.
नेपाल की सरकार और चीफ जस्टिस के बीच हाल ही में देश के पुलिस प्रमुख की नियुक्ति को लेकर विवाद पैदा हुआ था. हालांकि प्रत्यक्ष तौर पर नेपाल में स्थानीय निकाय चुनाव से एक पखवारे पहले चीफ जस्टिस द्वारा दिए गए फैसले का विरोध करते हुए उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बिमलेंद्र निधि ने इस्तीफे की घोषणा कर दी. नेपाल की केंद्रीय गठबंधन की सरकार में निधि सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के नेता हैं.
नेपाल के महान्यायवादी रमन श्रेष्ठ ने कहा है कि नेपाल के पुलिस प्रमुख को पदोन्नति देने को लेकर उठे विवाद के दौरान कार्की ने जिस तरह पुलिस महानिरीक्षक उम्मीदवारों के प्रदर्शन के मूल्यांकन के साथ छेड़छाड़ की, उनके खिलाफ महाभियोग लगाना जरूरी हो गया था.
गौरतलब है कि कार्की अगले महीने सेवानिवृत्त होने वाली थीं. कार्की के खिलाफ कोर्ट की पवित्रता और शक्ति संतुलन को भंग करने, कोर्ट में गुटबाजी और भाई-भतीजावाद करने, निष्पक्ष तरीके से न्याय प्रदान करने में असफल रहने और कोर्ट में तथा अपने सहकर्मी जजों पर अनुचित दवाब का माहौल बनाने का आरोप भी लगाया गया है.
पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार ने जैसे ही जय बहादुर चंद को नेपाल का नया पुलिस प्रमुख नियुक्त किया, उनके प्रतिद्वंद्वी नवराज सिलवाल ने अपनी वरिष्ठता का दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिलवाल को योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर पुलिस प्रमुख नियुक्त करने का फैसला सुनाया.
विवाद के बीच ही नेपाल सरकार ने प्रकाश आर्यल को नेपाल का पुलिस महानिरीक्षक नियुक्त कर दिया. इस नियुक्ति के खिलाफ भी सिलवाल पिछले सप्ताह शीर्ष अदालत चले गए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिलवाल के पक्ष में फैसला सुनाए जाने की आशंका के मद्देनजर सत्तारूढ़ दल ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लगाने का फैसला किया.
इस बीच निधि के इस्तीफा देने से नेपाल में 14 मई से 14 जून के बीच होने वाले निकाय चुनाव पर प्रश्नचिह्न लग गया है. प्रचंड की सरकार में अपनी पार्टी के नेतृत्व कर रहे निधि की लंबे समय से प्रोटोकॉल से जुड़े मुद्दे पर पार्टी प्रमुख शेर बहादुर देउबा और प्रधानमंत्री प्रचंड से अनबन चल रही थी.
निधि ने इस्तीफा देने के साथ कहा है कि उनकी जानकारी के बगैर चीफ जस्टिस कार्की के खिलाफ महाभियोग लगाए जाने के वह सख्त खिलाफ हैं.