एनएसजी और एमटीसीआर पर भारत को मिला अमेरिका का साथ

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का समर्थन किया है. वाशिंगटन में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद साझा बयान जारी किया गया.
दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने की सहमति के बीच यह बात आई, जिसमें भारत को रक्षा क्षेत्र में अमेरिका के करीबी साझेदार का दर्जा देने के रोडमैप को अंतिम रूप दिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करीब घंटे भर चली बातचीत में ओबामा ने पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों से और ‘डी’ कंपनी से आतंकवादी खतरों के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने का वादा भी किया.
वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि इस संदर्भ में दोनों नेताओं ने अपने अधिकारियों को अमेरिका-भारत आतंकवाद निरोधक संयुक्त कार्य समूह की अगली बैठक में साझेदारी के नए विशेष क्षेत्रों को चिह्नित करने का निर्देश दिया.
अमेरिकी पक्ष ने महत्वपूर्ण तरीके से पठानकोट हमले को 26-11 आतंकवादी हमलों की तरह मानने की अपनी प्रतिबद्धता जताई, जिससे पाकिस्तान में साजिशकर्ताओं को दंड सुनिश्चित किया जा सके.

छह अहम करार पर दस्तखत
दोनों देशों ने भारत में छह अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों के निर्माण पर काम शुरू करने का भी फैसला किया. इसका निर्णय इस पुष्टि के बीच किया गया कि जवाबदेही के मुद्दे का समाधान हो गया है.
बातचीत के बाद आतंकवाद संबंधी सूचना की स्क्रीनिंग के आदान-प्रदान पर एक समझौते समेत छह करारों पर दस्तखत किए गए. बातचीत में खास तौर से आतंकवाद, स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, रक्षा, क्षेत्रीय सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आर्थिक संबंध और जनता के बीच संपर्क जैसे विषय रहे.
50 सूत्री साझा बयान जारी
अपने ओवल दफ्तर में मोदी के साथ मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा कि दोनों सबसे बड़े लोकतंत्रों भारत और अमेरिका के लिए साझेदारी को गहन करना और व्यापक करना स्वाभाविक है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने एनएसजी का हिस्सा होने के नाते भारत को समर्थन जताया. इस बयान को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि चीन भारत के इस तरह के प्रयास का विरोध कर रहा है.
ओबामा ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को प्रौद्योगिकी की जरूरत है जो उसकी प्रगति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हो. 50 सूत्री संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि राष्ट्रपति ओबामा ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने के भारत के आवेदन का स्वागत किया.
साथ ही बयान में इस बात को दोहराया गया कि भारत सदस्यता के लिए तैयार है. अमेरिका ने एनएसजी में साझेदार सरकारों से आह्वान किया कि इस महीने के अंत में एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में भारत के आवेदन का समर्थन करें.
इसके अनुसार, अमेरिका ने भारत को ऑस्ट्रेलिया समूह और वासेनार व्यवस्था की सदस्यता जल्द मिलने के लिए भी अपना समर्थन दोहराया.
.@POTUS welcomed India’s application to join NSG & re-affirmed that India is ready for membership. pic.twitter.com/dCf980USvX
— Vikas Swarup (@MEAIndia) June 7, 2016
एमटीसीआर का सदस्य बनना तय
बाद में पीएम मोदी ने कहा कि एमटीसीआर और एनएसजी में सदस्यता के संबंध में मेरे मित्र राष्ट्रपति ओबामा ने जो मदद और समर्थन दिया है, उसके लिए मैं आभारी हूं.
संयुक्त बयान के अनुसार, अमेरिका-भारत रक्षा संबंध स्थिरता के सूत्रधार हो सकते हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए और रक्षा क्षेत्र में बढ़े हुए मजबूत सहयोग को देखते हुए अमेरिका भारत को एक प्रमुख रक्षा साझेदार मानता है.
इसमें कहा गया कि अमेरिका अपने करीबी सहयोगी देशों और साझेदारों के समान स्तर पर भारत के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी की दिशा में काम करता रहेगा. विदेश सचिव एस जयशंकर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने एक रोडमैप को अंतिम रूप दिया.
जिसके तहत भारत, अमेरिका की रक्षा और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी तक बेहतर और लाइसेंस मुक्त पहुंच बना सकता है.
वहीं भारत का मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का सदस्य बनना अब तय है, क्योंकि उसने इस समूह की सदस्यता प्राप्त करने की अंतिम बाधाएं पार कर ली हैं.

मॉडर्न मिसाइल प्रौद्योगिकी तक पहुंच
एमटीसीआर एक प्रमुख अप्रसार समूह है और इसका सदस्य बनने से भारत को अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी. कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक एमटीसीआर की सदस्यता के लिए भारत के आवेदन पर कोई आपत्ति नहीं थी.
सदस्य देशों के लिए उस पर आपत्ति जताने की समय सीमा सोमवार को समाप्त हो गई. 34 देशों के इस समूह की पूर्ण बैठक इस साल में सोल में होगी. इस दौरान भारत को इस समूह में नये सदस्य के तौर पर औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा.
आयरलैंड में नार्वे के राजदूत रोल्ड नेस ने ट्वीट किया, "मिशन लगभग पूरा हो गया है. भारत के एमटीसीआर का सदस्य बनने से पहले ही कुछ प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं रह गई हैं."
एमटीसीआर का सदस्य बनने से भारत को प्रमुख उत्पादनकर्ताओं से अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी और निगरानी प्रणाली खरीद में मदद मिलेगी, जिसे केवल एमटीसीआर सदस्य देशों को ही खरीदने की इजाजत दी जाती है.
सूत्रों ने कहा कि भारत ने एमटीसीआर सदस्यता के लिए पिछले साल आवेदन किया था और उसकी अर्जी ‘मूक प्रक्रिया’ के तहत विचाराधीन थी. किसी भी देश की आपत्ति के बिना प्रक्रिया की अवधि सोमवार को समाप्त हो गई.
First published: 8 June 2016, 9:49 IST