यूनिवर्सल बेसिक इनकम का आइडिया हिट होगा या फ्लॉप

एक मुल्क के हर व्यक्ति को न्यूनतम और एक समान आय मिले, यह विचार भारत जैसे देश के लोगों को काफी आकर्षित कर सकता है. लेकिन फिलहाल यहां ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
जबकि स्विटजरलैंड में इस बाबत जनमत जुटाने की तैयारी की जा रही है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम के विचार का अगर यहां समर्थन होता है तो यह दुनिया के अन्य मुल्कों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है.
इस कड़ी में स्विटजरलैंड के मतदाता रविवार को होने वाले मतदान में इस बार प्रस्तावित यूनिवर्सल बेसिक इनकम के लिए मत देने की तैयारी में जुटे हैं.
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इस पहल के संस्थापकों का मानना है कि हर वयस्क को प्रतिमाह 2,500 फ्रैंक्स (करीब 1 लाख 80 हजार रुपये) और बच्चों को 18 साल की उम्र का होने तक प्रतिमाह 625 फ्रैंक्स (करीब 45 हजार रुपये) मिलने चाहिए.
हालांकि ताजा आंकड़ें बताते हैं कि 72 फीसदी लोग इसके खिलाफ वोट डालेंगे. इसकी वजह स्विस गवर्नमेंट और देश के सभी राजनीतिक दलों द्वारा इस प्रस्ताव के खिलाफ चलाया गया अभियान है.
सरकार का अनुमान है कि इस प्रस्तावित यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करने के लिए 2,500 करोड़ फ्रैंक्स (करीब 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये) की जरूरत पड़ेगी, जिसके चलते मौजूदा खर्चों में भारी कटौती करने की जरूरत होगी.
एसोचैम सर्वे: देश के 5,500 बी-स्कूलों के एमबीए छात्र रोजगार के लायक नहीं
रविवार को होने वाली वोटिंग से यह फैसला होगा कि इसे तुरंत लागू करने की जगह इसका समर्थन किया जा रहा है या नहीं.

बेसिक इनकम अर्थ नेटवर्क (बीआईईएन) की गैब्रिएल बार्टा ने एक वेबसाइट को बताया कि इस बारे में चर्चा, वित्तीय सहायता और लागू करने में 10 वर्षों वक्त लग सकता है.
बता दें कि बेसिक इनकम का विचार दुनिया भर में प्रसिद्ध हो रहा है और फिनलैंडएसोचैम सर्वे: देश के 5,500 बी-स्कूलों के एमबीए छात्र रोजगार के लायक नहीं, कनाडा जैसे देशों में इसकी योजनाएं विचाराधीन हैं. बीते माह आयोजित एक मतदान में दो तिहाई ब्रिटिश नागरिकों ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम का समर्थन किया था.
First published: 4 June 2016, 2:52 IST