इस अफ्रीकी देश में क्यों हो रहा गांधी का विरोध, विश्वविद्यालय कैंपस से हटाई गई प्रतिमा

घाना विश्वविद्यालय ने अपने कैंपस से महात्मा गांधी की मूर्ती को हटा दिया है. इससे पहले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने गांधी पर जातिवादी होने का आरोप लगाया था. हालंकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि प्रतिमा को काब हटाया गया. इससे घटना के दो साल पहले छात्रों और शिक्षाविदों पहली बार मूर्ति के खिलाफ विरोध किया था.
सितंबर 2016 में विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने गांधी को जाति व्यवस्था का समर्थन करने और एक स्वतंत्रता सेनानी द्वारा लिखे गए लेख का हवाला देते हुए याचिका एक दायर की थी. एक महीने बाद विश्वविद्यालय ने मूर्ति को हटाने का फैसला किया, जिसका जून 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अनावरण किया था. सितंबर 2016 में छात्रों के एक समूह ने मूर्ति को हटाने के लिए एक हैशटैग #GandhiMustFall चलाया था.
गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार मूर्तियों को हटाने वाले श्रमिकों ने कहा कि उन्हें "उपर्युक्त आदेश मिला है और वह ये नहीं कह सकते हैं कि इसे क्यों हटाया. अफ्रीकी अध्ययन संस्थान के पूर्व निदेशक अकोसुआ एडोमाको अम्पोफो ने कहा "गांधी को गिराना जरूरी था", वही इस आंदोलन का नेतृत्व कर रह थे. 2013 में जोहान्सबर्ग में प्रदर्शनकारियों ने काले लोगों के बारे में गांधी की कथित नस्लीय टिप्पणी के लिए विरोध किया
था.
आखिरी शताब्दी के अंत में वाइट अल्पसंख्यक शासन के खिलाफ लड़ाई शुरू करने वाले भारतीयों को पहचानने के लिए नेल्सन मंडेला ने एक युवा मानवाधिकार वकील के रूप में गांधी को दर्शाते हुए 2.5 मीटर ऊंची (8 फीट) की कांस्य प्रतिमा का स्वागत किया था. लेकिन आलोचकों ने गांधी पर नस्लीय वक्तव्यों को लेकर हमला किया.
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First published: 13 December 2018, 12:34 IST