चीन: एनएसजी में भारत की दावेदारी पर 'रचनात्मक' भूमिका निभाएंगे

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की दावेदारी पर चीन का रुख लगातार बदल रहा है. बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुवा चुनिइंग ने कहा है कि चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता पर 'रचनात्मक' भूमिका निभाएगा. हालांकि, चीन ने फिर से दोहराया कि सियोल में होने वाली एनएसजी की बैठक में भारत की दावेदारी एजेंडे में नहीं है.
प्रवक्ता हुवा चुनिइंग ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि एनएसजी सदस्यों ने तीन बार अनौपचारिक रूप से भारत और पाकिस्तान को सदस्यता देने के मुद्दे पर चर्चा की है.
इस बीच विदेश सचिव एस जयशंकर गुरुवार से शुरू हो रही एनएसजी की पूर्ण बैठक से पहले भारत की दावेदारी के प्रयासों को मजबूत करने के लिए सियोल रवाना हो गए है. विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और निरस्त्रीकरण व अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग के प्रभारी अमनदीप सिंह गिल समर्थन जुटाने के लिए पहले से ही सियोल में हैं.
चीन ने सोमवार को भी कहा था कि एनएसजी की बैठक के एजेंडे में भारत की सदस्यता का मुद्दा नहीं है. बुधवार को उसने फिर से यही बात दूसरे तरीके से दोहराई. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुवा ने कहा, "सियोल की बैठक उन देशो के लिए हैं, जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर कर दिया है.
गैर-एनपीटी सदस्यों को शामिल किया जाना कभी एनएसजी की बैठकों के एजेंडे में नहीं रहा है. एनएसजी में कभी भी गैर-एनपीटी सदस्यों का आवेदन स्वीकार नहीं किया गया."
रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दावा किया था कि चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध नहीं कर रहा है. वह बस प्रक्रिया मानदंडों को लेकर चिंतित है. उन्होंने विश्वास जताया कि हम चीन को मनाने में कामयाब रहेंगे.
गौरतलब है कि एनएसजी पर चीन को मनाने के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर 16-17 जून को बीजिंग का दौरा कर चुके हैं. एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और यदि 48 सदस्यों में से कोई एक देश भी भारत के खिलाफ मतदान करता है, तो सदस्यता पाने का उसका प्रयास विफल हो जाएगा.