बाबरी मामला: अदालत ने आडवाणी समेत तीन नेताओं को दी राहत

बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को बड़ी राहत दी है. विशेष अदालत ने कहा है कि इस विवाद चल रही सुनवाई के दौरान एलके आडवाणी को कोर्ट में हमेशा हाज़िर होने की ज़रूरत नहीं है. उन्हें निजी तौर पर कोर्ट में हाज़िर होने से छूट दी जाती है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इन आरोपियों पर आपराधिक षडयंत्र की धाराओं के तहत सुनवाई होनी चाहिए. जिसके बाद 12 आरोपियों पर विवादित ढांचे को गिराने के मामले में आपराधिक साजिश का आरोेप भी तय हुआ है.
आडवाणी-जोशी और उमा को पेशी से छूट
आडवाणी के अलावा अदालत ने भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती को भी यह छूट दी है. 30 मई को सीबीआई की विशेष अदालत ने लखनऊ में 12 मुलज़िमों पर बाबरी मस्जिद विवाद में आरोप तय किए थे.
आरोपियों में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती भी शामिल थे. स्पेशल कोर्ट ने उस दिन सभी को सुनवाई के दौरान हाज़िर होने के लिए कहा था. इनमें भाजपा नेता विनय कटियार, वीएचपी के विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा के अलावा चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास और राम विलास वेदांती भी शामिल थे.
2 साल में पूरा होना है ट्रायल
लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तब निर्देश दिया था कि सभी आरोपी सुनवाई के दौरान मौजूद रहें. यह भी कहा था कि ऐसी किसी भी अर्ज़ी पर विचार नहीं किया जाएगा, जिसमें आरोपी अदालत में हाज़िर होने से बचने के लिए छूट मांगें.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि बाबरी मामले की दो साल के अंदर सुनवाई पूरी कर ली जाए. साथ ही अदालत ने कहा है कि ट्रायल के दौरान किसी जज का ट्रांसफर नहीं होना चाहिए. गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में उग्र कारसेवकों ने विवादित बाबरी ढांचे को गिरा दिया था.
इस मामले में आडवाणी समेत भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के बड़े नेता अभियुक्त हैं. हालांकि इस मामले में आरोपी कल्याण सिंह को गवर्नर होने की वजह से मुकदमे से छूट दी गई है.