लोकपाल नियुक्ति: खड़गे ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर मीटिंग में शामिल होने से किया इनकार

लोकपाल नियुक्ति को लेकर होने जा रही मीटिंग से पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीटिंग में हिस्सा लेने से मना कर दिया है. खड़गे ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर इस मीटिंग में आने से मना किया है. इस मीटिंग में चर्चा के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को विशेष आमंत्रण भेजा गया था.
दरअसल, लोकपाल की नियुक्ति को लेकर पीएम मोदी की अध्यक्षता में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा समेत कई अन्य नेता मीटिंग करने वाले हैं. इसी मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए खड़गे को जब विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाया गया तो खड़गे इस पर नाराज हो गए.
Cong's Mallikarjun Kharge writes to PM over meeting of Select Committee, under Sec 4 of Lokpal & Lokayukta Act, says, 'special invitee invitation is a concerted effort to exclude the independent voice of the opposition from selection of most important anti-corruption watch-dog' pic.twitter.com/KhFt9e4z0K
— ANI (@ANI) March 1, 2018
खड़गे ने पीएम मोदी को भेजी अपनी चिट्ठी में लिखा, 'विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाया जाना महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार विरोधी दल की चयन प्रक्रिया में विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास है.' इसके अलावा खड़गे ने कहा कि इस मामले में नियुक्ति में चार साल का समय क्यों लगा?
दरअससल, बीते दिनों केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि भ्रष्टाचार निरोधक संस्था के लिए लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है और इसके लिए चयन समिति की बैठक 1 मार्च को होने वाली है. सरकार की तरफ से बताया गया था कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 1 मार्च को प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस, लोकसभा अध्यक्ष और विपक्ष के सबसे बड़े दल के नेता वाली चयन समिति की बैठक होगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने फैसले में कहा था कि लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता के मुद्दे सहित प्रस्तावित संशोधनों को संसद से पारित होने तक लोकपाल कानून पर अमल निलंबित रखना न्यायोचित नहीं है. पीठ ने कहा था कि यह एक व्यावहारिक कानून है ओर इसके प्रावधानों को लागू करने में किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगता है.
शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा था कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 में प्रस्तावित संशोधनों और संसद की स्थायी समिति की राय इस कानून को कार्यशील बनाने का प्रयास है और यह इसके अमल में किसी प्रकार से बाधक नहीं है.
First published: 1 March 2018, 11:42 IST