PNB घोटाला: 'UPA सरकार चाहती तो रुक सकता था करोड़ों का ये बैंक फ्रॉड'

पीएनबी घोटाले में सीबीआई ने बैंक के सेवानिवृत्त डिप्टी मैनेजर गोकुलानाथ शेट्टी समेत मनोज खरात और हेमंत भट्ट को भी गिरफ्तार किया है. गोकुलनाथ शेट्टी पिछले साल मई में पंजाब नेशनल बैंक के डिप्टी मैनेजर के पद से रिटायर हुए थे. एफआईआर में दिए शेट्टी के पते के मुताबिक मुंबई के बोरीवली में रहता था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार पीएनबी के एक पूर्व निदेशक दिनेश दुबे का कहना है कि यूपीए सरकार चाहती तो इस घोटाले को रोक सकती थी. उन्होंने बताया कि गीतांजलि जेम्स को लेकर उन्होंने साल 2013 में केंद्र सरकार और आरबीआई को पत्र लिखकर अगाह किया था कि पहले समूह 1500 करोड़ रुपये का लोन चुकाए लेकिन इसके बाद उनके ऊपर दबाव पड़ने लगा और इस्तीफा दे दिया.
CBI has arrested Gokulnath Shetty then Dy Manager (now Retd) Punjab National Bank and Manoj kharat, SWO(single window operator) PNB and Hemant Bhat, Authorised Signatory of the #NiravModi Group of Firms. They will be produced today before CBI special court Mumbai pic.twitter.com/ASd5kGtSbx
— ANI (@ANI) February 17, 2018
पीएनबी घोटाले में शेट्टी सबसे अहम् किरदार
पीएनबी से फ्रॉड के इस पूरे मामले में कुलनाथ शेट्टी सबसे अहम किरदार माने जा रहे हैं. शेट्टी पर आरोप है कि मोदी समूह और मेहुल चोकसी की कंपनियों की ओर से सात साल तक उच्च अधिकारियों से अनुमोदन के बिना एलओयू जारी किए गए गए. शेट्टी उन अधिकारियों में से एक थे जिन्होंने लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग (LoU) भेजने के लिए स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम का उपयोग करने में मदद की.
Uttarakhand: ED raid at a franchise showroom of #GitanjaliGems underway in Dehradun, the raid has been going on for more than 6 hours; staff say 'we have given them all the documents for scrutiny, we have done nothing wrong from our end'. pic.twitter.com/ev1Pbra8qy
— ANI (@ANI) February 16, 2018
शेट्टी की स्थिति बैंक में ऐसी थी कि कार्यालय में उनकी अनुमति के बिना कोई हस्तांतरण नहीं किया जा सकता था. पीएनबी के प्रमुख कार्यालय में सबसे चौकाने वाली बात यही थी कि उन्हें पांच साल पूरा होने पर 2015 में स्थानांतरित नहीं किया गया.
ये भी पढ़ें : PNB घोटाला: नीरव मोदी के स्टोर से कई बॉलीवुड सितारे और नेता नगद में करते थे खरीदारी
बैंक के अनुसार यह धोखाधड़ी जो 2010 के बाद से चल रही है और यह प्रकाश में तब आया जब जनवरी में शेट्टी की सेवानिवृत्त हो गई. सीनियर पीएनबी के अधिकारियों का कहना है कि शेट्टी अंडरग्राउंड हो गया था और उसका पता नहीं चल पा रहा था.
सरकारी बैंकों के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार एक प्रबंधक का हर तीन साल में स्थानांतरण होना आवश्यक है और पांच साल तक विशेषज्ञ स्थिति वाले प्रबंधकों को जारी रखा जा सकता है. शेट्टी को पीएनबी में अपने 36 साल की सेवा में केवल एक पदोन्नति मिली.
वह बैंक के राष्ट्रीयकरण के दूसरे चरण के आसपास बैंक में शामिल हो गए थे.1986 में उन्हें क्लर्क से मैनेजर पर पदोन्नत किया गया था.
First published: 17 February 2018, 13:03 IST