शीतकालीन सत्र: हंगामे से हारी संसद, 506 करोड़ स्वाहा, सिर्फ़ 2 बिल पास

16 नवंबर को शुरू हुआ संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह से नोटबंदी की भेंट चढ़ गया. आठ नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का एलान किया. इसके साथ ही पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद कर दिए गए.
इस फैसले के खिलाफ लामबंद हुए विपक्ष ने संसद की कार्यवाही के दौरान रोजाना हंगामा मचाया. हालांकि सरकार की ओर से इस गतिरोध को दूर करने के लिए संजीदा कदम का साफ तौैर पर अभाव नजर आया. हर दिन संसद की कार्यवाही शुरू होती और थोड़ी देर में नारेबाजी और हंगामे का दौर शुरू हो जाता.
इन सबके बीच 16 दिसंबर का दिन भी आ गया, जब शीतकालीन सत्र हंगामे की उपलब्धि के बीच खत्म हो गया. हालत ये रही कि वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि पक्ष या विपक्ष में से जीते चाहे जो लेकिन हार संसद की हो रही है.
शीतकालीन सत्र में हंगामे की वजह से कई जरूरी बिल भी अटक गए. महज दो बिल ही सत्र में पास हो सके. इनमें एक टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल था, दूसरा राइट्स ऑफ पर्सन्स विथ डिसेबिलिटी बिल-2014.
हालांकि टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल फाइनेंस बिल होने की वजह से पास हो गया, इसे राज्यसभा से पास कराने की कोई जरूरत नहीं थी. संसद सत्र की 22 बैठकों में 9 बिल पेश होने थे.
इनमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े तीन बिल पास होने थे. पहला केंद्र का जीएसटी बिल, दूसरा इंटीग्रेटेड जीएसटी बिल और तीसरा जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई तय करने वाला बिल. लेकिन हंगामे के चलते यह पास नहीं हो सका.
#FLASH: The Rights of Persons with Disabilities Bill 2016 passed in Lok Sabha
— ANI (@ANI_news) December 16, 2016
Lok Sabha has been adjourned sine die
— ANI (@ANI_news) December 16, 2016
हर हफ्ते 115 करोड़ बर्बाद
विधायी कामकाज के बाद अब बात खर्च की करते हैं. संसद के एक मिनट की कार्यवाही पर तकरीबन ढाई लाख रुपये खर्च होते हैं. इस लिहाद से एक घंटे की कार्यवाही पर डेढ़ करोड़ रुपये लगते हैं.
सामान्य रूप से राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन में 5 घंटे चलती है. वहीं लोकसभा की कार्यवाही एक दिन में 8 से लेकर 11 घंटे चलती है. एक दिन में तकरीबन 23 करोड़ रुपये का खर्च आता है.
जबकि एक हफ्ते यानी सोमवार से लेकर शुक्रवार तक का खर्च बैठता है 115 करोड़. इस लिहाज से संसद के शीतकालीन सत्र में 22 बैठकों के दौरान लगभग 506 करोड़ रुपये स्वाहा हो गए.
PM Modi attends Lok Sabha proceedings #wintersession pic.twitter.com/jRJhpE3G40
— ANI (@ANI_news) December 16, 2016
16वीं लोकसभा में अब तक नुकसान
- पहले सत्र में हंगामे की वजह से 16 मिनट बर्बाद, 40 लाख रुपये बर्बाद.
- दूसरे सत्र में 13 घंटे 51 मिनट स्वाहा, 20 करोड़ 7 लाख रुपये का नुकसान.
- तीसरे सत्र में 3 घंटे, 28 मिनट कार्यवाही बर्बाद, 5 करोड़ 20 लाख का नुकसान.
- चौथे सत्र में 7 घंटे, 4 मिनट बर्बाद, 10 करोड़ 60 लाख रुपये हंगामे की भेंट चढ़े.
- पांचवें सत्र में 119 घंटे बर्बाद, 178 करोड़ 50 लाख रुपये हंगामे में स्वाहा.
हालांकि 2010 से 2014 के दौरान यूपीए सरकार के कार्यकाल में टूजी और कोलगेट जैसे कई मुद्दों पर लगातार हंगामे की वजह से करीब 900 घंटे की कार्यवाही बर्बाद हुई थी. इस लिहाज से अनुमान लगाएं तो तकरीबन 1350 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
First published: 16 December 2016, 15:38 IST