इंटरनेट से डाउनलोड करते हैं फिल्म तो हो जाएं सावधान

अगर आप थियेटर में जाकर देखने की बजाए इंटरनेट से डाउनलोड करके फिल्म देखते हैं तो सावधान हो जाइए. मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को देश के 169 आईएसपी (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स) को इस संबंध में आदेश जारी किया है.
सुपरस्टार रजनीकांत की 22 जुलाई को रिलीज होने वाली फिल्म कबाली के संबंध में मद्रास हाईकोर्ट ने इन आईएसपी से कहा कि वे इस फिल्म को डाउनलोड होने से रोकें. इसके बाद अब इन आईएसपी के जरिये कोई भी यूजर कबाली फिल्म डाउनलोड नहीं कर सकेगा.
कबाली फिल्म के निर्माता एस थानू द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई करने के बाद न्यायाधीश एन कीरूबकारन ने इस संबंध में एक अंतरिम आदेश जारी कर दिया.
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इतना ही नहीं न्यायाधीश ने मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (एमएसओ) को केबल ऑपरेटर्स के जरिये भी इस फिल्म के गैरकानूनी प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश दिया.
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, "थेर्री और कानीधन जैसी फिल्मों के ऑनलाइन जाने और वीडियो पाइरेसी होने के चलते याचिकाकर्ता को भारी नुकसान हुआ था और उनकी आने वाली फिल्म को तमाम वेबसाइटों द्वारा अवैध डाउनलोडिंग, स्ट्रीमिंग आदि से रोकने के लिए उनका यह पुख्ता आधार है. इसलिए यह अदालत लाइसेंसी आईएसपी को कबाली फिल्म के कॉपीराइट के संबंध में पूर्व निर्धारित और ऐसी अन्य वेबसाइटों के जरिये डाउलोडिंग या पाइरेसी न होने का अंतरिम आदेश जारी करती है."
अदालत ने यह भी कहा, "इतना ही नहीं इस आदेश के अंतर्गत 22 जुलाई को रिलीज होने वाली कबाली फिल्म को भारत के न्यायिक क्षेत्र में किसी भी तरह प्रदर्शित, प्रसारित, स्क्रीनिंग या डाउनलोडिंग करके दिखाने जैसी किसी भी गतिविधि पर प्रतिबंध लगाती है."
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वहीं, बृहस्पतिवार को थानू के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय नारायण ने तर्क दिया था कि ट्राई को आदेश दिया जाए कि वो रजिस्टर्ड आईएसपी को यह निर्देश दें कि वे तमाम वेबसाइटों को फिल्मों के अवैध डाउनलोडिंग से रोके. उन्होंने कहा कि इस तरह की वेबसाइटें केवल 10 रुपये में करीब आठ मिनट के भीतर पूरी फिल्म को अवैध रूप से डाउनलोड करने की इजाजत देती हैं.
बता दें कि भारत में पंजीकृत आईएसपी पर लाइसेंस के अंतर्गत यह नियम हैं कि वे किसी अश्लील सामग्री, अवैध सामग्री और कॉपीराइट सामग्री की डाउनलोडिंग-अपलोडिंग की अनुमति नहीं देगीं. हालांकि उन्होंने कहा कि बावजूद इसके यह फिल्मों, संगीत और पोर्नोग्राफी की अवैध डाउनलोडिंग होने की अनुमति दे रही हैं क्योंकि ऑनलाइन उद्योग में इनकी संख्या करीब 70 फीसदी है.
सरकार इस पूरे मामले में आंख मूंदे बैठी हुई है जबकि निर्माताओं और लोगों को इससे हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.
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हालांकि पाठकों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि जब तक किसी फिल्म को सार्वजनिक जनता के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन रिलीज नहीं कर दिया जाता या फिर डाउनलोडिंग के लिए इजाजत नहीं दी जाती, इसे डाउनलोड करना, कॉपी करना, किसी अन्य से शेयर करना, देखना या दिखाना सभी कुछ गैरकानूनी है.