'हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से पहले कराई जाए ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट'

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीजी तामस्कर ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति करने से पहले उनकी ब्रैन मैपिंग व नार्को टेस्ट कराने की मांग की है.
सीजेआई जगदीश सिंह खेहर को लिखे खत के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के साथ ही देशभर के न्यायपालिका से जुड़े अफसरों में तीखी प्रतिक्रिया की संभावना जताई जा रही है.
तामस्कर ने ऐसे समय में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखा है, जब पश्चिम बंगाल के जस्टिस सीएस कर्णन के विवादास्पद आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अहम फैसला सुनाया है. तामस्कर ने सीजेआई को पत्र लिखकर एक नया मुद्दा छेड़ दिया है.
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि देश के किसी भी हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति आदेश जारी करने से पहले संबंधित व्यक्ति का वैज्ञानिक आधार पर परीक्षण किया जाना है. इसके तहत ब्रेन मैपिंग और नारको सहित जरूरी अन्य टेस्ट कराने की मांग की है.
तामस्कर ने अपनी मांग के समर्थन में तर्क दिया है कि देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पदस्थ होने वाले जज के हाथों में हजारों लोगों की जिंदगी होती है. उनके एक फैसले से दो परिवार के अलावा परिवार से जुड़े अन्य रिश्तेदारों व परिजन प्रभावित हुए बिना नहीं रहते.
ऐसी स्थिति में जज का मानसिक रूप से स्वस्थ होने के अलावा बेहद संतुलित होना जरूरी है. सुलझे, संतुलित और कानून के जानकार व्यक्ति के जज बनने और उनके द्वारा दिए जाने वाले फैसले को लेकर आलोचना भी नहीं होगी.
लिहाजा एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति आदेश जारी करने से पहले वैज्ञानिक आधार पर परीक्षण किया जाना चाहिए. तामस्कर ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि उनकी मांगों को सुप्रीम कोर्ट गंभीरता से लेते हुए यह व्यवस्था लागू करे, तो न्यायपलिका के इतिहास में यह आदेश मील का पत्थर साबित होगा.