बंगाल में रामनवमी पर हिंदुओं को संगठित करना चाहता है आरएसएस

पश्चिम बंगाल में अपना आधार मजबूत करने के लिए आरएसएस ने राज्य के कई जिलों में 5 अप्रैल को बड़े स्तर पर रामनवमी मनाने का ऐलान किया है. इस घोषणा से पहले आरएसएस ने अपने वार्षिक सम्मेलन में ‘बंगाल में जेहादी तत्वों की निरंतर बढ़ती हिंसा पर’ चिंता व्यक्त की थी. भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के स्रोत आरएसएस ने दावा किया कि राज्य सरकार ऐसे ‘राष्ट्र-विरोधी’ तत्वों से मिली हुई थी. वह उन्हें मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति खेलने को प्रोत्साहित कर रही थी. आरएसएस के मुताबिक, यह सब राज्य में हिंदू जनसंख्या में कमी आने के साथ हो रहा है.
आरएसएस अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का सम्मेलन इस साल कोयंबटूर में हुआ था. सम्मेलन में ‘पश्चिम बंगाल में बढ़ती जेहादी गतिविधियां: राष्ट्रीय हितों के लिए चुनौती’ शीर्षक से एक प्रस्ताव स्वीकृत किया गया.
बड़ी योजनाएं
यह पहली बार है, जब आरएसएस यहां के कई जिलों में बड़े स्तर पर रामनवमी मना रहा है. खासकर उत्तरप्रदेश में अपनी जीत से उत्साहित होकर. आरएसएस प्रवक्ता जिश्नु बोस ने कहा, ‘इस साल हमारी हर जिले में बड़े जोर-शोर से रामनवमी मनाने की योजना है. इस मौके पर हम लोगों को बंगाल में हिंदुओं को संगठित करने की आवश्यकता के बारे में समझाना चाहते हैं. ’
वरिष्ठ आरएसएस अधिकारियों ने कहा कि अन्य समारोहों के साथ वे इस साल गीता पाठ का भी आयोजन कर रहे हैं. वे इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए हिंदुओं से अनुरोध करेंगे. आरएसएस के सदस्यों को हर जिले में कैंप्स रखने के निर्देश दिए गए हैं. उन्हें यह भी कहा है कि वे हिंदु समुदाय को सांप्रदायिक तनाव का मुकाबला करने के लिए संगठित होने को प्रोत्साहित करें.
पश्चिम बंगाल आरएसएस के सूत्रों के मुताबिक नाडिया, पूर्व और पश्चिम मिदनापुर में नेताओं ने रामनवमी पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम तय कर लिए हैं. उनकी इन जिलों के कुछ गांवों में सभाएं रखने की भी योजना है. वे तृणमूल कांग्रेस सरकार के सहयोग से जेहादी तत्वों द्वारा की जा रही हिंसा पर गांववालों की राय जानना चाहते हैं.
बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘मैं अगले हफ्ते सभी जिलों का दौरा करूंगा, आरएसएस नेताओं से मिलूंगा और उन्हें हिंदुओं को संगठित करने के टिप्स दूंगा.’ घोष ने आगे कहा, ‘जिस संदर्भ में कोयंबटूर प्रस्ताव है, वह चिंताजनक मसला है और पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को संगठित करने के कदम उठाए जाने चाहिए.’
दूसरा पक्ष
तृणमूल कांग्रेस आरएसएस पर नजर और उन्हें दबाव में रखने का हर संभव प्रयास कर रही है. उसका दावा है कि वे राज्य सरकार के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाकर बंगाल को विभक्त करने की कोशिश रहे हैं. सांसद सौगता रॉय ने भाजपा की आलोचना की और कहा, ‘बंगाल को तोडऩा आसान नहीं है क्योंकि यह वह राज्य है, जहां सभी धर्मों का बराबर सम्मान किया जाता है. इसलिए हमें राज्य में आरएसएस के बढऩे का डर नहीं है.’
यूपी के नतीजों के बाद ममता बनर्जी ने दावा किया कि आरएसएस और भाजपा भले ही नतीजों से उत्साहित हों, पर वे बंगाल पर कब्जा नहीं कर सकते क्योंकि ‘बंगाल की स्थितियां पहले वाली से बिलकुल भिन्न हैं.’ उन्होंने यह दावा भी किया कि आरएसएस ‘झल्लाई’ हुई है इसलिए ‘पश्चिम बंगाल को निशाना बना रही है.’
First published: 27 March 2017, 8:17 IST