झारखंड के आदिवासियों के बीच ममता के मंत्री, निशाने पर मोदी और भाजपा

दिल्ली, उप्र और बिहार के बाद भाजपा शासित राज्य झारखंड में नोटबंदी के खिलाफ अभियान को आगे बढ़ाने के बाद तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी झारखंड में हो रहे जबरन भूमि अधिग्रहण के विरोध में उतर आईं हैं. उन्होंने राज्य के कृषि मंत्री पूर्णेन्दु बोस की अगुवाई में मंत्रियों की एक टीम दलमा क्षेत्र में भेजी है. दलमा क्षेत्र में 1,500 एकड़ भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है. मंत्रियों की टीम ने वहां जाकर हालात का जायजा लिया.
सिंगूर में भूमि अधिग्रहण के विरोध में अपने अभियान की सफलता के चलते उन्हें राज्य में वर्ष 2011 में प्रचण्ड बहुमत मिला था. वह पहले ही कह चुकी हैं कि देश में कहीं भी भूमि अधिग्रहण के विरोध में उनका संघर्ष जारी रहेगा.
मुद्दा
राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक भाजपा सरकार पर दबाव बनाने का फैसला लिया गया है क्योंकि ग्रामीण दलमा इकोसेन्सेटिव जोन के चिन्हीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि केन्द्रीय दिशा-निर्देशों के चलते वे घर-विहीन तो हो ही जाएंगे, उनकी आजीविका का साधन भी जाता रहेगा.
बोस ने कहा कि उन्होंने लगभग 3.5 लाख लोगों की पहचान की है जिनमें ज्यादातर आदिवासी हैं. ये आदिवासी दलमा क्षेत्र के 236 गांवों में रह रहे हैं. इस क्षेत्र की इकोसेन्सेटिव जोन के रूप में पहचान की गई है. ये ग्रामीण अपने भूमि अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऐसा इसलिए है कि राज्य की भाजपा सरकार ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम में संशोधन किया है. इस संशोधन के जरिए आदिवासी लोगों से जुड़ी कृषि भूमि के गैर-कृषि कार्यों में इस्तेमाल किए जाने की अनुमति मिल गई है. आदिवासियों का कहना है कि नया अधिनियम उन्हें अपने भूमि अधिकारों से वंचित कर देगा.
मंत्रियों की इस टीम के साथ ही सालबोनी (पश्चिम मिदनापुर) के टीएमसी के आदिवासी नेताओं श्रीकांत महता (विधायक), बलरामपुर (पुरुलिया) के विधायक शांति राम महतो, मानबाजार (पुरुलिया) की विधायक संध्यारानी ने क्षेत्र का दौरा किया और अधिकारियों को आदिवासी ग्रामीणों की समस्याओं को देखने का निर्देश दिया और उस तहकीकात के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया.
बोस ने कहा कि इस फाइडिंग के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है. वरिष्ठ अधिकारी भाजपा सरकार पर दबाव बनाने के लिए रूपरेखा बनाएंगे. तृणमूल के इस कदम को उसके राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने के रूप में देखा जा रहा है.
ममता बनर्जी की पैठ
ममता बनर्जी का कहना है कि मंत्रियों के वापस आ जाने के बाद वह झारखंड का दौरा करेंगी. उन्होंने कहा कि भाजपा ने धमकी दी है कि अगर मैंने भाजपा शासित राज्यों का दौरा किया तो वे मुझे पिटवाएंगे. मैं देखती हूं कि मुझे कौन हाथ भी लगा सकता है.
दलमा के एक आदिवासी नेता नरेश मुमरू ने कहा कि हमें तृणमूल कांग्रेस में पूरा भरोसा है. उन्हें विश्वास है कि ममता बनर्जी के दखल से हमें अपनी भूमि के वापस मिलने में मदद मिलेगी. हमने देखा है कि ममता ने किस तरह से सिंगूर में संघर्ष किया है. उनका संघर्ष काबिले तारीफ है. सिंगूर में माकपा द्वारा जबरन किसानों की भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया था.
First published: 12 January 2017, 8:17 IST