नागालैंड के सीएम पर आरोप, केजरीवाल सरकार की तर्ज पर 20 विधायकों को नियुक्त किया सलाहकार

नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो पर विरोधियों और और एक्टिविस्ट लगाया है कि उन्होंने अपने सलाहकार के रूप में सत्ताधारी गठबंधन के 20 विधायकों को नियुक्त किया है. यही नहीं मुख्यमंत्री ने छह अन्य विधायकों की नियुक्ति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और 'बम्बू मिशन' कार्यक्रमों में की है.
सरकार के आलोचकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2017 के फैसले में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया था. उनका कहना है कि सलाहकार और चेयरमैन संसदीय सचिवों के सामान हैं. इन्ही पदों पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की नियुक्ति पर बड़ा विवाद हुआ था. एक संसदीय सचिव को राज्य के मंत्री के पद के समान माना जाता जाता है.
कोहिमा स्थित सिविल सोसाइटी समूह 'स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन' के अध्यक्ष का कहना है कि "नाम अलग हो सकते हैं लेकिन वे संसदीय सचिवों के रूप में भत्तों का आनंद लेंगे क्योंकि वे उन्हें स्वतंत्र रूप से सौंपा जा रहे पोर्टफोलियो को चलाएंगे."
इससे पहले कोहिमा स्थित एक सिविल सोसाइटी ग्रुप ने पूर्व सरकार द्वारा संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ एक याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया था कि नियुक्तियों में संविधान के अनुच्छेद 164 (1 ए) का उल्लंघन किया गया है. 2003 में 91 संवैधानिक संशोधन कहता है कि मुख्यमंत्री सहित राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की शक्ति के 15% से अधिक नहीं हो सकती है.
हाल ही में हुए चुनाव में रिओ की नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर नागालैंड में सरकार बनायीं थी. रियो ने शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद पत्रकारों से कहा था कि वह संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में कानून के खिलाफ नहीं जाएंगे. पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारों के संसदीय सचिवों की नियुक्ति का एक लंबा इतिहास रहा है.
First published: 26 March 2018, 13:21 IST