अलीगढ़: चुनाव से पहले हिंदू-मुसलमानोंं के बीच फिर से उभरा पुराना झगड़ा

अलीगढ़ के बनियापाड़ा इलाके में विधानसभा चुनाव से पहले हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक तनाव साफ महसूस किया जा सकता है. दोनों समुदायों के घरों के बीच बंटवारे को मुख्य रोड पर स्थित श्रीवार्ष्णेय धर्मशाला से चिह्नित किया गया है. इसके दोनों तरफ इन समुदायों की बस्तियां हैं.
इन समुदायों के बीच हाल की घटनाओं से उफनते तनाव से बेखबर कैच की टीम ने बनियापाड़ा की गलियों में स्थानीय लोगों से बात करने पर पाया कि इस क्षेत्र में आबादी का एक हिस्सा विधानसभा चुनावों का बहिष्कार कर वेाट डालने से ही इंकार कर रहा है. अलीगढ़ के तुर्कमान गेट और बनियापाड़ा के हिंदू समुदाय के बहुसंख्यक लोग 11 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव का ही बहिष्कार कर रहे हैं. इस बहिष्कार का एक मात्र कारण वे बता रहे हैं कि उनका बूथ मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया है.
हिंदुओं का विरोध तब शुरू हुआ जब चुनाव आयोग ने बनियापाड़ा में पोलिंग बूथ को श्रीवार्ष्णेय धर्मशाला से बदल कर इस्लामिया प्राथमिक स्कूल तथा तुर्कमान गेट में कंचन ट्रस्ट धर्मशाला से प्रिंस मॉडर्न स्कूल में स्थानांतरित करने का आदेश इस माह के आरंभ में दिया. गौरतलब है कि ये दोनों स्कूल मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं. इसी वजह से हिंदुओं ने अपना विरोध जाहिर किया है.


इस क्षेत्र में वैश्य और ब्राह्मण समुदाय बहुंसख्या में है. मतदान केंद्रों का मुस्लिम बहुत क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया जाना उनके लिए उनका चिंता का विषय बना हुआ है. ध्यान देने की बात यह है कि नया मतदान केंद्र पुराने मतदान केंद्रों से बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर स्थित हैं.
बनियापाड़ा बस्ती की एक गृहिणी मोनिका वार्ष्णेय का कहना है कि सबसे बड़ा मुद्दा सुरक्षा का है. नये मतदान केंद्रों की लोकेशन महिलाओं और वृद्धों के लिए बहुत ही असुरक्षित है. इस बस्ती में कभी हिंदुओं की बड़ी आबादी हुआ करती थी जो कि अब तेजी से घटी है.
इस इलाके से अपनी जायदाद आदि बेचकर हिंदू दूसरे क्षेत्रों में जाकर बस गए हैं. महिलाओं को दिन की रोशनी में भी प्रताड़ित किया जाता है, इसलिए रात में तो हम उधर आना जाना ही पसंद नहीं करते. नये पोलिंग बूथ का रास्ता एक संकरी गली से जाता है. हम महिलाएं तो वहां जाने की हिम्मत ही नहीं करते.
दोनों ही इलाके पूरी तरह से मुस्लिम बहुल हैं. बनियापाड़ा में लगभग 900 हिंदू मतदाता हैं तो तुर्कमान गेट में लगभग 3000 के करीब.


कोल विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर पंकज कुमार वर्मा ने कैच न्यूज से बात करते हुए बताया, 'इन दोनों मतदान केंद्रों को बदले जाने के पीछे मुख्य रूप से दो कारण हैं. उन भवनों के जरूरी हिस्से ठीक नहीं हैं. बनियापारा की धर्मशाला में जहां प्रथम तल पर मतदान स्थल रखा गया है वहां पहुंचने के लिए काफी ऊंचाई पर चढ़ना पड़ता है. वहां पहुंचना बुजुर्गों और विकलांगों के लिए कॉफी मुश्किल होता है. दूसरा, चुनाव आयोग के निर्देश थे मतदान केंद्रों को किसी धार्मिक भवन में नहीं रखा जाए. इन दोनों बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ही चुनाव केंद्र बदले गए हैं.'
22 जनवरी को बनियापाड़ा के हिंदू लोगों ने जिला चुनाव अधिकारी को एक पत्र लिखकर आग्रह किया था कि मतदान केंद्रों को पुराने स्थल पर ही रखा जाए. इस पत्र में इलाके के सांप्रदायिक तनाव तथा महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था.
बायकॉट की धमकी
उनकी मांगें नहीं माने जाने के कारण इस समुदाय के लोगों ने न सिर्फ चुनाव के बहिष्कार की धमकी दी है वरन भूख हड़ताल की भी चेतावनी दी है. बनियापाड़ा में रहने वाली मोनिका वार्ष्णेय ने बताया कि समुदाय के कुछ लोग तो चुनाव आयोग पर दबाव बनाने के लिए अपने खून से पत्र लिखने को तैयार थे. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं. वहीं बनियापारा के मुस्लिमों का कहना है कि नए मतदान केंद्र के इलाके में हिंदू महिलाओं की असुरक्षा का मुद्दा पूरी तरह से बेबुनियाद है.
इस्लामिया प्राथमिक स्कूल के प्रिंसिपल जफर अली खान का कहना है कि यहां आकर वोट करने में डरने का कोई कारण नहीं है. यहां ऐसे कोई तत्व नहीं हैं जिनके कारण इलाके की शांति और सुरक्षा बिगड़ने का खतरा हो. इसके अतिरिक्त इलाके में पैरा मिलिट्री फोर्स भी तैनात की जाएगी, इसलिए किसी तरह के भय की बात निराधार है. सच तो यह है कि मैं तो हिंदू समुदाय के यहां आकर वोट करने का स्वागत ही करूंगा.
रोचक यह है कि दोनों ही समुदायों के लोग यह महसूस करते हैं कि ऐसा करने के पीछे राजनीतिक मंशा है. बनियापाड़ा निवासी अतुल राजाजी ने कैच न्यूज को बताया कि यह निर्णय निश्चित रूप से राज्य में भाजपा की विपक्ष की हैसियत के मद्देनजर दबाव में लिया गया है. अन्यथा इतने सारे चुनावों तक मतदान का केंद्र बनी रही धर्मशाला को आज क्यों बदला जाता. इसमें तो षड्यंत्र है. जफर खान भी यह महसूस करते हैं कि इस कदम का उद्देश्य क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के अलावा और कुछ नहीं है.

बनियापारा और तुर्कमान गेट का हिंदू समुदाय मुख्य रूप से भाजपा का समर्थक है. अतुल राजाजी ने बताया कि इस इलाके के भाजपा उम्मीदवार संजीव राना को भी अपील के समय संपर्क किया गया था. संजीव राना उस समय चुनाव अभियान में व्यस्त थे और वे चुनाव आयोग के निर्णय पर कोई सवाल खड़ा करना नहीं चाहते.
बिना विवाद के इतना ही कहा जा सकता है कि अगर एक समुदाय चुनाव का बहिष्कार करता है तो इससे कम ही सही लेकिन जिले में पार्टी की चुनाव संभावनाओं पर असर होता है. पर संजीव राना इस पर किसी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके.
First published: 7 February 2017, 7:59 IST