उत्तर प्रदेश चुनाव: 7 चरण के 10 हॉटस्पॉट जो तय करेंगे चुनाव का रुख

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया है. इन राज्यों में 4 से 8 फरवरी के बीच मतदान संपन्न होंगे. चुनाव आयोग की इस घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. यूं तो ये चुनाव सभी राज्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में इस बार का मुकाबला रोचक होगा.
पांच राज्यों में से केवल उत्तर प्रदेश ऐसा है, जहां 403 विधानसभा सीटों पर सात चरणों में चुनाव सम्पन्न होगा. ये चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च तक चलेंगे. मतगणना 11 मार्च को होगी.
समाजवादी पार्टी में चल रही अंदरूनी कलह के बावजूद मौजूदा सरकार और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दोबारा सत्ता में आने का प्रयास करेंगे. उनका कड़ा मुकाबला बहुजन समाज पार्टी से होगा, जिसकी मुखिया मायावती हैं और वे चार बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. भारतीय जनता पार्टी इस बार सबसे महत्वाकांक्षी पार्टी बनकर उभरी है, क्योंकि भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में उसे राज्य में कुल 73 सीटों पर जीत मिली थी.
कांग्रेस यहां पिछले 27 सालों से सत्ता में नहीं आई है और उसे उम्मीद है कि वह राज्य में फिर से कुछ सीटों पर तो जीत हासिल कर ही सकती है. चुनाव आयोग ने सात चरणों में जिस तरह से जिलेवार चुनाव कार्यक्रम घोषित किया है, उससे जो नक्शा उभर कर आता है, वह ठीक वैसा ही है, जैसे हमें दिल्ली से पूर्वी भारत के किसी बड़े केंद्रीय क्षेत्र जाना हो और हम यात्रा की शुरूआत पश्चिमी यूपी से करके फिर केंद्रीय स्थल और अंत में पूर्वी क्षेत्र में पहुंचे.
इस समय यूपी में राजनीतिक उबाल आया हुआ है. राज्य में अनगिनत मुद्दे हैं जो चुनाव तक राज्य की दशा और दिशा तय करेंगे. एक नजर उन 10 क्षेत्रों और मुद्दों पर जो मतदाता और उम्मीदवार दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. इन चुनावों की रणनीति यही दस क्षेत्र तय करेंगे.
1. दादरी
पहला चरण
दादरी वही जगह है, जहां 28 सितम्बर 2015 की रात को 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को बीफ खाने की अफ़वाह फैलाकर भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था. इससे केवल यूपी ही नहीं देश के कई हिस्सों में सामुदायिक तनाव फैल गया था. घटना के बाद लगभग सारे राजनेता अखलाक के गांव गए थे और यह जगह राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बन गई थी.
2. कैराना
पहला चरणः
शामली जिले का कैराना कस्बा भी जून 2016 में साम्प्रदायिक तनाव का गवाह बना, जब भाजपा ने आरोप लगाया कि हिन्दू वहां से कथित तौर पर पलायन कर चुके हैं. यह आरोप भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने एक सूची जारी करके लगाया था. इस वजह से वहां काफी शोर शराबा हुआ और बाद में बहुत-सी जांच आदि भी हुई लेकिन पलायन की कहानी गलत साबित हुई. मामला अब भी पूरी तरह शांत नहीं हुआ है.
3. बरेली
दूसरा चरणः
अगस्त 2016 में बरेली में एक मस्जिद में लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर हिन्दू-मुस्लिम समुदाय आपस में भिड़ गए थे. हालांकि पुलिस ने कार्रवाई करने में फुर्ती दिखाई और हालात समय पर सामान्य हो गए, वरना इस दंगा ग्रस्त क्षेत्र में छोटी सी चिंगारी से ही बड़ी घटना होने की आशंका बनी रहती है.
4. मैनपुरी
तीसरा चरणः
समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव का गृहनगर मैनपुरी पार्टी के लिए सुरक्षित सीट रही है. दरअसल यह पूरा क्षेत्र ही सपा का माना जाता है. पार्टी में मची पारिवारिक कलह ने मुलायम समर्थकों और अखिलेश समर्थकों के बीच पार्टी को बांट दिया है. अब देखना यह है कि क्या इस कलह के चलते मैनपुरी को एक नई पार्टी मिलेगी?
5. लखनऊ
तीसरा चरणः
राजधानी लखनऊ चुनावों की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. यहां 5 विधानसभा सीटें हैं. यह भाजपा का गढ़ रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ सीट से सांसद रहे थे.

6. झांसी
चौथा चरणः
झांसी उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश के बीच फैले बुंदेलखंड जैसे गरीब इलाके की सीट है. 2015-16 में यहां सूखा पडा था. इसके बाद नोटबंदी के चलते यहां की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. 2016 में झांसी उस वक़्त सुर्खियों में आया जब यहां से भारी संख्या में शरणार्थी दिल्ली पहुंचे और पुलियाओं के नीचे दिन काट रहे थे.
7. अयोध्या
पांचवां चरणः
1992 में यहां बाबरी मस्जिद विध्वंस देश के लिए कलंक बन चुका है और हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे की अहम भूमिका रही है. 1992 से ही राम मंदिर चुनावी मुद्दा बना हुआ है. पिछले कुछ महीनों में भाजपा ने राम मंदिर मुद्दा फिर से उठाया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगने पर रोक के आदेश के चलते विधानसभा चुनावों में लोगों की नजर अयोध्या सीट पर होने वाले चुनाव प्रचार और चुनावों पर बनी रहेगी.
8. अमेठी
पांचवां चरणः
अमेठी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सीट है. पिछले विधानसभा चुनावों में यहां सपा ने जीत का परचम लहराया था. यही बात मौजूदा हालात में दोनों पार्टियों के बीच महागठबंधन में आड़े आ रही है. अगर यूपी में कांग्रेस-सपा गठबंधन कर लेते हैं तो राजनीति का चेहरा बदल सकता है.
9. मऊ
छठा चरणः
मऊ उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंग्स्टर मुख्तार अंसारी का गढ़ है. अंसारी फिलहाल जेल में है लेकिन गत वर्ष मुलायम और अखिलेश के बीच हुए विवाद की बड़ी वजह वे ही थे. मुलायम अंसारी को सपा के साथ लाना चाहते थे लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश इसके सख्त खिलाफ थे. बहरहाल, अंसारी के कौमी एकता दल का सपा में विलय हो चुका है.
10. वाराणसी
सातवां चरणः
वाराणसी इन दिनों भाजपा के लिए नई अमेठी बन चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से सांसद हैं. 2014 के चुनाव में वाराणसी सीट राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बन गई.
First published: 5 January 2017, 8:17 IST