मायावती ने यूपी हार के बाद शुरू की सर्जरी, नसीमुद्दीन सिद्दीकी से छीने अधिकार

मायावती ने अपने जन्मदिन पर खुद के भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर बड़े बदलाव के संकेत दे दिए थे. यूपी चुनावों में करारी हार के बाद मायावती पार्टी की सर्जरी में जुट गई हैं. इसी कड़ी में बसपा में कद्दावर माने जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अधिकारों में कटौती कर दी है. मायावती ने उनसे सभी बड़े विभाग और अधिकार छीन लिए हैं.
पार्टी में वो अब केवल राष्ट्रीय सचिव के पद पर रहेंगे. जब मायावती की यूपी में सरकार थी तो नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पास कई बड़े मंत्रालय थे. कहा जाता है कि यूपी चुनावों में मुसलमानों को बड़ी संख्या में टिकट नसीमुद्दीन का ही आइडिया था.
गौरतलब है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा का बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं. वह पूर्व में विधान परिषद के नेता रह चुके हैं. सिद्दीकी की पश्चिम उत्तर प्रदेश में अच्छी पकड़ मानी जाती है. हालांकि वो ख़ुद बुंदेलखंड इलाके से आते हैं, जहां की 19 विधानसभा सीटों में से बसपा इस बार एक भी सीट नहीं जीत सकी.
पहली बार 1991 में बसपा से विधायक बने नसीमुद्दीन सिद्दीकी बांदा जिले के रहने वाले हैं. 1995 में जब मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बनीं तो नसीमुद्दीन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. 1997, 2002 और 2007 में जब-जब बसपा की सरकार बनी नसीमुद्दीन को मायावती ने कैबिनेट मंत्री का ओहदा दिया.
भाजपा नेता दयाशंकर सिंह की मायावती पर विवादित टिप्पणी के बाद नसीमुद्दीन ने कथित तौर पर उनकी पत्नी स्वाति सिंह और बेटी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी, जिसके बाद स्वाति ने नसीमुद्दीन के ख़िलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था.