BJP सांसद की अगवानी में लगे थे डॉक्टर, इलाज के अभाव में युवती ने तोड़ा दम

शनिवार को यूपी के सिद्धार्थ नगर जिले में एक महिला मरीज की मौत हो गई. दरअसल जिस वक्त महिला जिन्दगी और मौत से लड़ रही थी. ठीक उसी वक्त अस्पताल के डॉक्टर, अस्पताल का दौरा करने आए सांसद जगदम्बिका पाल की अगवानी में लगे थे. हालांकि महिला की मौत के बाद सांसद ने पूरे मामले की जांच करवाने बात कही है.
यूपी के डॉक्टरों का मरीजों के प्रति लापरवाही का रवैया किसी से छिपा नहीं है. अक्सर सूबे के अस्पतालों में लापरवाही की ऐसी घटनाएं होती रहती है. इसके साथ हीं डॉक्टर्स की लापरवाही मरीजों की अकाल मौत की वजह बन जाती है. सिद्धार्थ नगर जिले में हुई यह घटना भी इस तरह के मामलों का ताजा उदाहरण है. यहां भी महिला मरीज की मौत की वजह समय पर इलाज न होेने और दवाओं का अभाव रही है.
A 20-year-old girl died at District hospital in #Siddharthnagar due to lack of medicines and absence of doctor, when Siddharthnagar MP Jagdambika Pal was conducting an inspection of the hospital yesterday. MP said ' strict action will be taken against the responsible doctor' pic.twitter.com/R5mKqk2Jrk
— ANI UP (@ANINewsUP) May 20, 2018
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, यूपी के सिद्धार्थ नगर के जिला अस्पताल में जिले के इन्द्रा नगर में रहने वाली सावित्री (23 वर्ष) पत्नी सुरेश मौर्या का इलाज चल रहा था. उसे शुक्रवार रात को अस्पताल में उल्टी-दस्त की शिकायत होने पर भर्ती करवाया गया था. पीड़िता के पति सुरेश मौर्या ने बताया कि महज डेढ़ साल पहले ही उनकी शादी हुई थी.
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वहीं मृत महिला के पति सुरेश के मुताबिक शुक्रवार रात को उसे उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया. रात में ड्यूटी डॉक्टरों ने भी इलाज नहीं किया. आरोप है कि शनिवार सुबह से पूरा अस्पताल स्टाफ सांसद की अगवानी में जुटा हुआ था. किसी ने भी सावित्री की तरफ ध्यान नहीं दिया. उसे समय से दवाई न मिलने और डॉक्टर्स की लापरवाही के कारण उसकी मौत हो गई.
उसके बाद महिला के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. हंगामे के कारण अस्पताल प्रशासन ने तत्काल पुलिस बुलवा ली. जब सांसद जगदम्बिका पाल को हंगामे की भनक लगी तो उन्होंने खुद पीड़ित के पास जाकर पूरी शिकायत सुनी. सांसद ने इस पूरे वाकये पर जिलाधिकारी को तत्काल जानकारी दी. जिलाधिकारी के निर्देश पर दोपहर एक बजे अपर जिलाधिकारी न्यायिक गुरुप्रसाद गुप्ता ने पीड़ित पक्ष के बयान दर्ज किए हैं.
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वहीं अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों ने अपना बचाव करते हुए कहा कि लड़की के शरीर में उल्टी-दस्त के कारण पानी की कमी हो गई थी. उसे सभी जरूरी उपचार दिए गए थे. लापरवाही के आरोप बेबुनियाद हैं. वहीं पीड़ित पक्ष का कहना है कि मृतका सावित्री की उम्र महज 23 साल थी. उसका पिछला किसी भी बीमारी का इतिहास नहीं रहा है. सिर्फ उल्टी-दस्त की शिकायत हुई थी, अगर डॉक्टर लापरवाही न करते तो शायद वह जिंदा होती.
First published: 20 May 2018, 12:30 IST