योगी सरकार UPPSC भर्तियों की कराएगी CBI जांच!

योगी सरकार अखिलेश यादव के शासनकाल में यूपी लोकसेवा आयोग द्वारा की गई भर्तियों की सीबीआई जांच करा सकती है. आयोग ने पिछले पांच साल में हुई सभी भर्तियों का पूरा ब्योरा गुरुवार को शासन को सौंपा है.
आयोग अध्यक्ष डॉक्टर अनिरुद्ध यादव ने हर भर्ती का अहम रिकॉर्ड सरकार को दे दिया है. इसमें छोटी-बड़ी करीब छह सौ से ज़्यादा भर्तियों का ब्योरा दिया गया है. माना जा रहा है कि इनकी पड़ताल कराने के बाद सरकार जांच का एलान करेगी.
सपा शासनकाल में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्तियों में गड़बड़ी के कई आरोप लगे थे. प्रतियोगियों ने हर भर्ती पर सवाल उठाए, लेकिन एक भी मामले की जांच नहीं हुई. यह जरूर है कि कोर्ट ने तमाम मामलों को बदलने का आदेश दिया. यह तय है कि अगर पांच साल की भर्तियों की सीबीआई जांच हुई, तो भ्रष्टाचार और अनियमितता के जरिए मनमाने चयन के कई मामले उजागर होने के पूरे आसार हैं.
आयोग में पीसीएस, पीसीएस-जे, लोअर सबऑर्डिनेट, आरओ-एआरओ जैसी छोटी-बड़ी करीब 600 से अधिक भर्तियों में कथित गड़बड़ी हुई है. प्रतियोगियों के अनुसार आयोग अध्यक्ष अनिल यादव ने दो अप्रैल 2013 को कार्यभार ग्रहण किया था, उसके बाद से लेकर अब तक जो भी भर्तियां हुई हैं, उनमें खामियों की भरमार है.
यही नहीं मौजूदा अध्यक्ष डाक्टर अनिरुद्ध यादव के कार्यकाल में हुई भर्तियों पर भी उंगली उठी है. उन पर आरोप है कि भर्तियों में लिखित परीक्षा में कम अंक पाने वालों को इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर सफल किया गया. खास तौर से एक खास जाति के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में ज्यादा अंक दिए गए. लिखित में ज्यादा नंबर पाने वाले कई अभ्यर्थी इंटरव्यू में कम अंक मिलने के कारण सफल ही नहीं हो सके.
आयोग ने भर्तियों में गड़बड़ी करने के लिए मनमाने नियमों का सहारा लिया. मसलन त्रिस्तरीय आरक्षण और स्केलिंग, वन टाइम पासवर्ड आदि के नियम लागू हुए. इसीलिए प्रतियोगी लंबे समय से सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं.
इसको लेकर कोर्ट में याचिका तक दाखिल हो चुकी है और प्रधानमंत्री तक भर्तियों की जांच कराने की बात कह चुके हैं. सूबे में भाजपा सरकार आने के कुछ दिन बाद ही सबसे पहले आयोग की भर्तियों पर रोक लगाई गई.
प्रतियोगी लंबे समय से आयोग की खामियों को लेकर हमलावर रहे हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान रायबरेली की सुहासिनी बाजपेई के प्रकरण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान इस ओर खींचा और उसी के बाद से आयोग का हाल बेहाल है.
असल में पीसीएस मुख्य परीक्षा 2015 की अभ्यर्थी सुहासिनी का मामला सामने आने के बाद आयोग पर मेधावियों की कॉपियां बदलने के आरोप और तेज हो गए हैं.